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खग्रास

वर्ष बाद हमारा रसायन शास्त्र कितना विकसित हो जायगा और हम किस-किस अलौकिक तत्व को बनाने में सफल हो सकेगे। प्रसिद्ध है कि चन्द्रमा पृथ्वी की औषधियो पर अमृत वर्षा करता है। यह भी सम्भव है कि हमें चन्द्रलोक में कही अमृत का भण्डार ही मिल जाय।"

"परन्तु जब वहाँ का वायुमण्डल ही नहीं है तब वहाँ मानव बसेगा कैसे?"

"इस पर भी मैं एक योजना मास्को भेज रहा हूँ। वहाँ हम प्लास्टिक की चादरो से ढके हुए नगर गाँवो का निर्माण करेगे जिनका अपना वायुमण्डल होगा। जहाँ पौदे और पशु-पक्षी तथा मनुष्य जीवित रह सकेगे। ये प्लास्टिक आवरण वाले गॉव सूर्य की रोशनी में चमकेगे। खासकर पूर्णमासी का चाद तो बस देखने योग्य ही होगा।"

"तुम तो पागलो जैसी बाते करते हो?"

"प्रिये, देखती रहो। चन्द्रमा पर हम नगरो का नही, झीलो का भी निर्माण करेगे और वह दिन दूर नहीं जब चन्द्रमा पर पृथ्वी की भॉति एक नई सभ्यता का विकास होगा और तब मानव पृथ्वी पर रहने की अपेक्षा चन्द्रलोक में रहना अधिक पसन्द करेगा।"

"खाक पसन्द करेगा, वहॉ न पानी, न हवा, सूखे समुद्र, अथाह गढे और असह्य शीत और ताप और काला आकाश," लिज़ा ने नाक भौह सिकोड़ कर कहा।

जोरोवस्की ने हस दिया। उसने कहा---"यही तो मजे की एक बात है कि वायुमण्डल न होने ही से वह खगोल शास्त्रियो का स्वर्ग होगा।"

"यह कैसे?"

"पृथ्वी पर टेलिस्कोप से जो भी देखा जाता है, वह पृथ्वी के वायुमण्डल तथा अनेक गैसो का आवरण होने के कारण धुधला दिखाई देता है। लेकिन चन्द्रमा पर ऐसी कोई बात नहीं है। वहाँ से सारे ब्रह्माण्ड का स्पष्ट चित्र देखा जा सकता है। परन्तु एक बात बेढब है।

"क्या?"