पृष्ठ:खूनी औरत का सात ख़ून.djvu/११७

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सात जून। ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ यह सुन कर फलगू फहगे लगा,-"हुजूर,मालिक के मकान पर माकर हमलोगों ने मकान का सदर दरवाजा खुला पाया यह देख कर हमलोगों मे " कालू-कालू" और "दुलारी-दुलारी " कह पर कई आवाजें दी, पर जय उन दोनों में से कोई भी न बोला.तय हमलोग पड़ा ताज्झुम करते हुए मकान के अन्दर घुसे। भीतर जाकर हमलोगों ने कमा देखा कि, 'घर को सच कोठरियों के सारे दरवाजे खुले हुए हैं और मकान की सारी चाळ गायब हैं !' यह देख कर हमळोग बड़े बकपकाए कि, 'कपा इस घर में रात को डांका पड़ा, जो सब बीज-वस्त नदारत है !' खैर, यों ही तीन-चार कोठरियों को देख कर हमलोग एक और फोठरी में घुसे और यहांकी लीला देख हर एक दम घबरा गए! तो उस कोठरी में हमलोगों में पपा देखा? यही कि 'उन्हीं तिवारी जी का परोसी हिरवानाऊ धरती में मरा हुमा पड़ा है !' यह शमीच तमाशा देख कर हमलोगों को काठ मार गया और देर तक हमलोग उसी कोठरी में खड़े-खड़े हिरवा के मुर्दे की भोर देखते रहे। इसके माद हमलोग उस कोठरी से बाहर निकल कर रसोई घर में पहुंचे और वहां जो कुछ दिखलाई दिया, उससे हमखभों की मानो जान निकल गई ! देर तफ हम-सीनी, एक दूसरे को थाम्हें हुए उस बड़ो फोठरी की लीला देखते रहे। इसके पाए फिर भाप ही बारा हमलोग मागे आपे में आए और फिर सारा घर देख-भाल कर हुजूर की खिदमत में हा दाखिल हुए। तो, रसोई घर में हमलोगों मे कमा देखा कि, 'हमारे गांव के रहगेचाले 'धामा' और 'परसा' के तो सिर धड़ से अलग होकर एक मोर लड़क रहे हैं और 'नब्बू' के कलेजे में एक तल्लार मेडी हुई है ! फकल इतना ही नहीं,बरन एफ चौथा भादमी भी, जिसका नाम 'फालू' था और जो तिवारीजी के हम-चार हरबाहों में से एक था, एक मोर मरा हुआ पड़ा है ! इस ( कालू ) के फम्धे में तल्वार का बड़ा गहरा घाव होरहा है !' यस,गरीयारघर ! यह सत्र