पृष्ठ:खूनी औरत का सात ख़ून.djvu/१२५

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सात खून (१२१). wvvvvvv TRARASHAALIHERE स हुआ। उस औरत ( दुलारी ) मे तो हम-सभी से यह बात कही है कि, 'मेरे खातिर अपदुल्ला और हींगन आपस में कट मरे हैं !' पर अब हमलोग यह नहीं कह सकते कि असल बात क्या है ! यानी, वे दोनो आपस में लड़-झगड़ कर खुद फट मरे हैं. या अपनो इज्जत-आबरू बनाने की नीयत से उस औरत में किसी डर से उन दोनों को मार डाला है ! या बात तो फकत परमेश्वर ही जाम सकता है। हजूर ! रसूलपुर थाने पर हम सय आठ चौकीदार थे, जिनमें को करीमन माम को एक चौकीदार आज पांच दिन हुए, पंद्रह दिन की छुट्टी लेकर अपने घर गया है और हींगम मारा ही गया है। बस, अब हमलोग सिर्फ छ। चौकीदार यहां पर हैं। बस, गन्दे ने याज, म दोनों खूनो के बारे में जो कुछ हमलोग भामरी थे, उसकी रिपोर्ट हुजूर की खिदमत में लिखोदी गई। बस, यहां तक पड़कर कोतवाल साहष मजिस्टर साहब से फिर यों कहगे लगे,-" बल, हुजूर! उन दोनों औकोदारों के समक्ष बयान के लिख जाने पर उस कागज पर उन दोनों के अंगूठे की छाप ली गई और इस नई बात की नहर जमाप छुपरिन्टेन्डेन्ट साहप बहादुर को फोरम टेलीफोन के जरिये दी गई। उस खबर के पाते हो वे फौरन कोतवाली में शाए और रामदयाल मौर कादिर बख्श के खुला बयान की ससदीफ कर उस पर खुद दस्तखत फरके मुझसे भी इस पर सही करा ली । फिर हमलोग गाड़ियों पर सघार होकर रखलपुर गांव पहुंचे और रामययाक की मतलाई हुई कोठरी में हमलोगों में उस औरत को बन्द पाया। यह उस फोठरी का दरवाजा अन्दर से बन्द करके जंगलेदार खिड़की के आगे बैठी हुई थो, पर साहय बहादुर के कहने से फोरम यह 8ठी और कुण्डी खोल कर उस कोठरी से बाहर हुई। तब साहप बहादुर के हुकुम से मैंने उसके हाथों में हथकही भर दी। इसके बाद साहम बहादुर के हुकुम से सगे अपना लो जयाम