पृष्ठ:खूनी औरत का सात ख़ून.djvu/१२६

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(१२२) खूनी औरत फा । Haichi । यहां पर लिखवाया था, वह मेरे पास मौजूद है । इस फोगज पर इस मौरत के अंगूठे के निशान हैं भौर साहब बहादुर ष मेरी भी सही है ! सिर्फ इतना ही नहीं, बल्फि उस कागज पर वहांके मौजूदा छों चौकीदारों के अंगूठे के भी निशान साहब बहादुर गे करा लिए हैं । उन छओं मौजूदा चौकीदारों के नाम ये हैं,- (१) रामदयाल मिसिर, (२) दियानत हुसेन, (३) कादिर बलश, (४) मन्नमदुबे, (५) गजाधर पांडे, (६) मातादीन तिघारी। इन छगों के अलाघे वह सातवां चौकीदार करीमन छुट्टो लेकर . आपणे घर गया लुभा है। भाठयां चौकीदार हींगन मारा ही गया है। बस, इस तरह उस गांव पर कुल माठ चौकीदार थे, जिनमें से इस वक्त वहां पर छः चौकीदार मौजूद हैं और अबदुल्ला थानेदार की जगह पर कानपुर की कोतवाली से मदारीलाल नाम का एक टेड जमादार, जो पढ़ा लिखा हुमा भी हैं, तब तक के लिये यहाँ भेज दिया गया है, जप तफ फि कोई दूसरा इन्तजाम न होथे।" बस, यहां तक पढ़कर जब कोतवाल साहय चुग हुए, तब मजिस्टर साहब गे उनसे कहा,-"अच्छा, भब इस मौरत यामी दुलारी के उस इज़हार को पढ़िए, जो इसने रसूलपुर के थागे पर दिया था। यह सुनकर कोतवाल साहब मेरे दिए हुए इस बयान का बयान करने लगे और हाकिम ध्यान से उसे सुनगे लगे। यो कहकर मैने भाई दयालसिंहजी की शोर देखकर यों कहा- गयों, महोदय ! पा रसूलपुर गांव में दिए हुए अपगे इजहार को मैं फिर दुबारे सुना जाऊं?" यह सुनकर भाई दयालसिंहजी के बदले घे साहच बहादुर, जो भाई दयालसिंह और पारिस्टर साहब के बीच में बैठे हुए मेरा इजहार लिख रहे थे, मेरी भोर देखकर यो योले,-"नेईं, डुलारी ! साजहार का बाट टुम अपाना रसूलपुर का हाल फहगे का