पृष्ठ:खूनी औरत का सात ख़ून.djvu/१४७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
(१४३)
सात खून।

———————————————————————————————————————————————— EERESTHERNORATEER तेईसवां परिच्छेद। ........... पुन्नी-मुन्नी। " सेविकां त्वां न जानामि, - सत्यं जानीहि सुन्दरि। . स्यान्मे सहचरी नित्यं, त्वद्विधा शीलशालिनी ॥ ..... ... ... . (कथासरित्सागरे.) . उन सब सज्जनों के जाने के कुछही देर बाद पहिले कही उन्हीं दोनों कहारियों को साथ लिये हुए जेलर साहब मेरे पास 'श्राए और बोले,-" दुलारी, अब तुम जरा न घबराओ और परमेश्वर पर भरोसा रक्खो । उस दीनानाथ ने एक ऐसे दीनानाथ को तुम्हारी मदद के लिये भेजा है कि वे अवश्य ही तुम्हारा इस संकट से उद्धार करेंगे । खैर, अब तुम इन दोनों कहारियों के साथ जाकर ज़रूरी कामों से छुट्टी पा आओ।" ... यह सुनकर मैं उठी और उन दोनों के साथ जाकर और मामूली कामों से छुट्टी पाकर थोड़ी ही देर में लौट आई । तब तक जेलर साहब वहीं पर ठहरे हुए थे। मेरे आने पर उन कहारियों में से एक मेरी बालटी लेजाकर उसमें ताजा पानी भरलाई और दूसरी जाकर एक कोरी हंडिया में दूध ले श्राई । मैंने उठ करें दूध पीया और कुल्ला-उल्ला करके जेलर साहब से यों कहा,-५ जेलर साहब, यदि कोई हरज न हो तो इन दोनों कहारियों को मेरे पास छोड़ दीजिये, क्योंकि इनके पास रहने से बोलने चालने से ज़रा जी बहला रहेगा।". ... यह सुनकर जेलर साहब ने कहा,-"अच्छी बात है, ये तो 'तुम्हारी टहल चाकरी के लिये मुकर्ररही की गई हैं।" ___और फिर उन दोनों की ओर देखकर उन्होंने कहा,-" पुनी-मुन्नी ! जानो, तुम दोनों अपने ओढ़ने और बिछाने के