सात खून। HERE संसार की जातियां सिर झुका सकती हैं, पर बात यह है कि अविद्या, मूर्खता और कोरे घमण्ड के कारण हमारी जाति अभी ऐसी गिरी हुई दशा में है कि वह सच्ची सती साध्वी पतिव्रताओं का श्रादर करना जानती ही नहीं । जिस दिन मेरी जाति के लोग इस योग्य होंगे, उस दिन इनके सामने संसार की सभी जाति के लोग सिर झुकावेंगे?" मैंने पूछा,-"तो आप मुझे सच-मुच त्यागते हैं ?" वे बोले,-" क्या करूं, बेटी! जी से तो मैं तुझे जीते दम तक कभी नहीं त्याग सकता, पर हत्यारे समाज के आगे मेरी एक नहीं चलने की।" यह सुन और सारी लाज पर गाज डालकर मैंने फिर यों कहा,-" तो जिसे आप उचित समझे, उसे मेरा हाथ पकड़ा दें, वे बोले,-"नहीं, मैं जाहिरा में कुछ भी नहीं कर सकूँगा, मैं बोली,-" तो चुपचाप ही कर दीजिएगा। बे बोले,-" नहीं, चोरी की बात भी भला कभी छिपी रह सकती है ! इस लिये तुझे स्वयम्भरा होना पड़ेगा यह सुनकर मैं फिर फूट फूटकर रोने लगी और देर तक रोती रही। आखिर, श्रापही श्राप मैं चुप हुई और फिर इस विषय में चचा से कुछ भी कहना सुनना मैंने उचित नहीं समझा। वे देर तक चुपचाप बैठे रहे और फिर उठे और मुझे असीस देकर चले गए। उनके जाने पर मैं बड़ी देर तक बैठी बैठी रोया की और जब सांझ होने पर पुनी और मुन्नी ने आकर मुझे बहुत कुछ समझाया, सब में कुछ स्वस्थ हुई। फिर भी उस दिन मेरा ऐसा जी दुखी हुश्रा था कि उस रात को मैने पुनी या मुन्नी से कुछ भी बात चीत न की और दूध पीकर सोने का बहाना करके पड़ रही, पर आधी रात तक मुझे नींद न आई । हां, वे दोनों नौ बजते बजते मोगई थीं।