सात खून । HTRIANE अपनी कोठरी में बैठी हुई इधर उधर की गप-शप कर रही थी, तब जेलर साहब श्राए और पुनी-मुन्नी से बोले,-" पुन्नी और मुन्नी ! लूकीलाल वकील तुम-दानों मिलने और यह खुश खबरी सुनाने अाए हैं कि पहली अप्रैल को तुम दोनों इस जेल से छुट्टी पाश्रोगी। यह सुनकर पुन्नी और मुन्नी ने मेरी ओर इस ढंग से देखा कि उसका मतलब मैं समझ गई ! अर्थात् वे दोनों उस कमीने लूकीलाल का नाम सुनकर बहुत ही डर गई थीं और उसले मुलाकात करने के लिखे ज़रा भी राजा न थीं। बस, उन दोनों का • दिली मतलब समझकर मैंने लूकीलाल का लारा किस्सा, जैसा कि पुत्री ने मुझे सुनाया था, जेलर साहब को सुना दिया ! .. यह हाल सुनकर वे बहुत ही नाराज हुए और कहने लगे कि,-" ऐं ! यह बात है ! वह ऐसा. कमीना और पाजी आदमी हैं! अच्छा, कुछ पर्वा नहीं। मैं उसकी सारी बदमाशी भुला दूंगा और उसे ऐसी सीख दूंगा कि वह उसे मरते दम तक न भूल केगा। सुनो, आज तो मैं उसे यह कहकर टाले देता हूं कि, इस वक मौका नहीं है, कल ठीक बारह बजे श्राना ।" इसके वाद, इतना कहते कहते जेलर साहब ज़रा रुक गये और कुछ देर के बाद उन्होंने हम तीनों को उसी विषय में कुछ समझाया- बुझाया। उनकी बातें समझ कर हम सब बहुत प्रसन्न हुई, और जेलर साहब चले गये। एक घण्टे के बाद वे हाथ में एक लिफाफा लिये हुए श्राए । एक सिपाही ने एक कुरसी लाकर मेरी कोठरी के आगे वाली दालान में डालदी और उस पर बैठ और लिफाफे के अन्दर से एक पत्र निकाल कर यों कहने लगे,-" दुलारी, लूकीलाल भुनभुना-उनभुना कर चला गया और कल दोपहर को आने की बात कह गया है। अच्छा, और सुनो ! बारिष्टर दीनानाथ का यह प्राइवेट पत्र मुझे अभी मिला है । यह मेरे, नाम है और अंगरेजी में है, इस लिये इसका मतलब मैं तुम्हें । mammi hinnamasomai २१