क्योंकि यह बात मैने कालू से नहीं कही थी, जो उस ( कालू ) ने अपने तीनो साथियों से कही।
तो, उसने अपने साथियों से क्या कहा १ एक अद्भुत बात कही! वह बात यह थी-कालू ने अपने तीनों साथियों से यों कहा कि-- "नहीं, दोस्तों! मैं तुमलोगों से कुछ भी नहीं छिपाना चाहता। लो, सुनो,-दुलारी यह कहती है कि, 'उस पच्छिम भोर वाले रसोईघर में चूल्हे के नीचे एक बटुमा गड़ा हुआ है, जिसमें दो हजार रुपए हैं। सो, उन रुपयों को भी निकाल कर अपने साथ लेना चाहिए ।
बस, महाशय! वह बात यही थी, जिसे अपने मन से गढ़कर कालू ने उन तीनों ने कहा था और जिसे सुनकर मैं बहुत ही चकपफाई थी कि,'वाह, इस ( कालू ) ने अपने तीनो साथियों को यहांसे हटाने का यह अच्छा ढंग निकाला!' पर इस युक्ति- बिल्कुल बेजड़ युक्ति का परिणाम क्या होगा, इसे मैं उस समय नहीं' समझ सकी थी।
"सो, जय उन तीनों ने कालू के मुह से दो हजार रुपए की बात सुनी, तब वे मारे आनन्द के खूब ही उछलने कूदने लगे। यह देखकर कालू उठा और बाहर से एक दूसरा दीया लेकर और उसे पालकर आले पर रखने के बाद अपने उन तीनो साथियों के साथ मेरी कोठरी से निकल कर रसोई घर की भोर चला गया । कुछ ही क्षण के बाद मेरे कानो में फरसे के चलाए जाने की आवाज पहुंची, जिसे सुनते ही मैने यह समझ लिया कि रसोई घर के चूल्हे के नीचे की धर्ती खोदी जा रही है!