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आपसे और कुछ नहीं चाहते। हलफ से कहता हूँ, हर एक चीज जिसकी आपको ख्वाहिश हो, यहाँ हाजिर कर दी जाएगी, लेकिन जब तक मुकदमा खत्म न हो जाए, आप आजाद नहीं हो सकते।

रमानाथ ने दीनता के साथ पूछा-सैर करने तो जा सकूँगा, या वह भी नहीं?

इंस्पेक्टर ने सूत्र रूप से कहा—जी नहीं!

दारोगा ने उस सूत्र की व्याख्या की आपको वह आजादी दी गई थी, पर आपने उसका बेजा इस्तेमाल किया, जब तक इसका इत्मीनान न हो जाए कि आप उसका जायज इस्तेमाल कर सकते हैं या नहीं, आप उस हक से महरूम रहेंगे।

दारोगा ने इंस्पेक्टर की तरफ देखकर मानो इस व्याख्या की दाद देनी चाही, जो उन्हें सहर्ष मिल गई। तीनों अफसर रुखसत हो गए और रमा एक सिगार जलाकर इस विकट परिस्थिति पर विचार करने लगा।