और उसमें बहता हुआ प्रेम का निर्मल स्रोत अब दूसरे का हो चुका था। वह बिहारी की ओर से जितना खिंचती, रतन की ओर उतना ही बढ़ती। बिहारी देख रहे थे कि वह उनकी ओर से उदासीन हो रही है; परन्तु उनकी समझ में कोई कारण न आता था।
(६)
यौवन और वासना का अटूट सम्बन्ध है। वासना प्रेम का घातक है; किन्तु प्रेम को वासना के तीव्र आघातों से बचाये रखना बिरले का ही काम है। कौन है, जो आत्म-संयम का महत्त्व नहीं जानता? कौन ऐसा है, जो हृदय को वासना की कालिमा से पवित्र रखने का प्रयत्न नहीं करता? परन्तु, सुन्दरी के भेद-भरे नयनों का एक साधारण कटाक्ष, उसके सरस अधरों की सरल मुस्कान, उसके अञ्चल की एक लहर, चित्त को चञ्चल कर देने के लिए बहुत है।
रतन काम के बाणों का वीरता के साथ सामना कर रहे थे; परन्तु एक सहस्र सैनिक के तीव्र आघातों का बेचारा निहत्था आदमी कब तक सामना कर सकता है? जानते थे कि हार निकट है; किन्तु वे निरुपाय थे। रतन सोचते—इस प्रेम का कहाँ अन्त होगा? उमा मुझसे प्रेम अवश्य करती है; किन्तु यह प्रेम उसी समय तक है, जब तक हमारा सम्बन्ध निष्काम है। यदि मुझसे जरा-सी भी असावधानी हुई, तो वह मुझसे अवश्य घृणा करने लगेगी लेकिन मैं कितने दिनों तक दामन बचा-बचा-