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गल्प-समुच्चय
"कुछ खाओगे?"
"हाँ खाऊँगा।"
घर पहुँचकर भोलानाथ ने पत्नी से कहा-इसे कुछ खाने को दो। भोलानाथ की तरह उनकी पत्नी भी सुखदयाल से बहुत प्यार करती थी। उसने बहुत-सी मिठाई उसके सम्मुख रख दी। सुखदयाल रुचि से खाने लगा। जब खा चुका, तो चलने को तैयार हुआ। भोलानाथ ने कहा- "ठहरो इतनी जल्दी काहे की है।"
"ताई मारेगी।"
"क्यों मारेगी?"
"कहेगी, तू चाचा के घर क्यों गया था?"
"तेरी बहनों को भी मार पड़ती है?"
"नहीं। उन्हें प्यार करती है।"
भोलानाथ की स्त्री के नेत्र भर आये । भोलानाथ बोले- "जो मिठाई बची है, वह जेब में डाल ले।"
सुखदयाल ने तृपित नेत्रों से मिठाई की ओर देखा और उत्तर दिया-"न"
"क्यों?"
"ताई मारेगी और मिठाई छीन लेगी।"
“पहले भी कभी मारा है।"
"हाँ, मारा है।"
"कितनी बार मारा है?"
"कई बार मारा है।"