तीसरी कथा मेगजीन की रक्षा के विषय में कंडेक्टर युगली और दूसरे अँगरेजों का ऊपर उल्लेख आ चुका है। नीचे की चिट्ठी से सालूम होगा कि युगली साहब पर मेगजीन के उड़ने और भागने के बाद क्या गुजरी। साहब ने मेगजीन से निकलते ही यह किया कि राबर्ट साहब की मेम को चार वर्ष के लड़के-सहित यमुना पार कराया। इसमें यह कठिनाई थी कि उक्त साहब के हाथ पर मेगज़ीन की लड़ाई में ऐसा घाव आया था कि वह हाथ बिल्कुल बेकार हो गया था । नदी पार करने पर ५-६ घाव और भी लगे थे, क्योंकि यमुना-पार विद्रोहियों ने इन्हें घेर लिया, और तमाम शरीर के कपड़े सिवा कमीज़ के सब छीन लिए। वह १२ दिन भटकने के बाद लेफ्टिनेंट रेज़ साहब के साथ मय बाल-बच्चों के मेरठ पहुँचे। वह रेज साहब से एक दिन बाद गए थे। युगली साहब की मुलाकात रेज़ साहब से ऐसी ही हालत में हुई कि विद्रोहियों ने इनसे सब कुछ छीन लिया और इनको घेर रक्खा था। रेज़ और उनकी स्त्री मुझसे कहती थी कि यदि इस आदमी का अर्थात् खबर देनेवाले का-वीरता-
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