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ग़दर के पत्र


कुछ मित्रों द्वारा भेंट में मिली थीं। इन दुष्ट लुटेरों ने सभी लूट लीं। प्यास के मारे हम अधमरी रहती थीं। पानी खत्म हो जाने पर विवश हो झीलों और तालाबों का मैला और कीड़ों पड़ा पानी पीना पड़ता था। कओं से खींचकर खारी पानी पीना पड़ता था। कर्नल इबली की डोली हमसे आगे-आगे जाती थीं। पर वह कहाँ रख दी गई, हमें मालूम नहीं। इन्हें साथ रखना हमारी शक्ति से बाहर था। अन्यथा हस अवश्य उनको अपने साथ रख लेतीं, और उनको इस प्रकार एकाकी मरने के लिये न छोड़ जाते।



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