पृष्ठ:ग़दर के पत्र तथा कहानियाँ.djvu/१४४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

. बारहवी कथा १६ अगस्त को मेसन साहब की खो देहली के फौजी कैंप में सवात-निवासो एक ग़ाजी के साथ आई। शहर से दो गाजी उनके साथ चले थे, पर एक रास्ते में विद्रोहियों के हाथ फंस गया था। मेम साहब अफगान लड़कों की शकल में भागी थीं। वह गदर के प्रारंभ अर्थात् ११ मई से १६ अगस्त तक, ३ महीने, कैद में रही थीं। इनका एक बच्चा इनकी गोद में गोली से मारा गया था । वही गोली खुद इनको भी लगी थी। घायल होने पर दोनो गाजियों ने इनको रक्षा की थी। मौजी कैंप में दाखिल होने से पहले एक रात किसी तरह मेम साहब अजमेरी दरवाजे से बाहर निकलकर घास में छिप रहीं । प्रातःकाल गाजियों में से एक को भेजा कि जाकर देखे कि अँगरेजी फौज सब्जी मंडी में है या नहीं। वह देखकर वापस गया, और सारा हाल कह सुनाया। मेम साहब सब हाल सुनकर वहाँ से चलीं, और यथाशक्ति तेज चलकर कैंप में आ गईं। रास्ते में शत्रु के संतरियों ने एक गाजी को गोली से मार डाला। दूसरे गाजी और मेम साहब का भी पीछा किया । मगर जब वह हमारी गोली के निशाने पर पहुंचे, तो विद्रोहियों ने फिर आगे कदम नहीं रक्खा, और गाजी व