पृष्ठ:ग़दर के पत्र तथा कहानियाँ.djvu/५३

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गदर के पत्र वे सब अंगूरीबारा में हैं।" यह सुनकर सूबेदार ने उससे कहा-"जाओ, उन सबको बला लाओ।" वह सिपाही चला गया। जब वे सब जमा हो गए, तो सूबेदार ने दरवाजा खोल दिया, और सारे सिपाही किले में दाखिल हो गए। कप्तान डग्लस ने किलेदार से और जर साहब ने सूबेदार से कहा-"तुमने ऐसा धोका दिया, तुमसे यह संभावना न थी।" फिर कुछ समझाना चाहा, और सूबेदार से कहा- "सिपाहियों से कहो, बंदूकें भर लें।" क्योंकि किले के दरवाजे पर हमेशा एक गारद रहा करता था, और वह इन विद्रोहियों की रोक-थाम के लिये काफी था, परंतु सूबेदार पहले ही से प्रतिकूल और विद्रोहियों के षड्यंत्र में सम्मिलित हो चुका था । उसने इस आज्ञा का भी पालन नहीं किया। बल्कि अत्यंत कटुता से पेश आया, और गंदी गाली देकर कहा-"यहाँ से चले जाओ।" दोनो अँगरेजों ने जब यह रंग देखा, तो विवश हो वहां से भागकर किले के भीतरी हिस्से की तरफ आए । वे गरीष भागते हुए आ ही रहे थे कि रास्ते में विद्रोहियों के सवार मिल गए । एक ने फ्रेजर साहब और दूसरे ने कप्तान डग्लस पर पिस्तौल का फायर किया, जिससे दोनो घायल हो गए, और दीवारके सहारे खड़े हो गए। इसके अनंतर एक विद्रोही पाया, और तलवार के चार से दोनो के सिर काट डाले । इस दुःखदायी समाचार को एक साहब ने दूसरे प्रकार से वर्णन किया है। उनका कहना है-