पृष्ठ:ग़दर के पत्र तथा कहानियाँ.djvu/७९

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गदर के पत्र अब डिप्टी साहब को गए देर हो चुकी थी, इसलिये मेजर एबट साहब ने ज्यादा देर करना उचित न समझा । इस बात का समर्थन एक हवल्दार ने भी किया, और कहा कि उसने भी छावनी की तरफ़ बंदूकों की आवाजें सुनी हैं । अब यहाँ ज्यादा देर करना किसी प्रकार योग्य नहीं। तब मेजर साहब ने फौज की तैयारी का हुक्म दिया और चल दिए। करीब सौ कदम दरवाजे से बाहर गए होंगे कि ३५० की रेजिमेंट के सिपाही दरवाजे के अंदर घुस गए, और दरवाजा बंद कर दिया । तब उन्हीं बदमाश सिपाहियों ने ऑफिसरों पर, जो अब तक बाहर न निकल सके थे, गोलियाँ बरसानी शुरू कर दी । इस धोके और विश्वासघात के फलस्वरूप ७४ नं० की रेजिमेंट के कप्तान कोरों साहब सबसे पहले मारे। गए । एक सिपाही ने पीछे से गोली मारी, और वह तत्काल मर गए । इसके बाद लेफ्टिनेंट रोवली साहब इस रेजिमेंट में बहुत जख्मी हुए । मगर उन्होंने मरते-मरते अपनी दुनाली बंदूक विद्रोहियों पर सर कर दी, जिससे दो-एक विद्रोही मारे गए । इस समय ७४ नं० रेजिमेंट के इनसाइन रोलीयन ने यह हाल देखा, तो वहां से भागे, और दीवार फांदकर खंदक में कूद पड़े, और दूसरी पटरी पर चढ़कर जंगल के रास्ते से छावनी को रवाना हो गए। सबको रास्ते में मेजर पिटसन मिले, जो ७४ नं० रेजिमेंट के साथ दरवाज से बाहर निकल गए थे । दोनो साहब छ बजे