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दूसरी कथा


खड़े कर्नल रेली साहब के जख्मी होने का तमाशा देखते रहे, और किसी ने मदद न की। यद्यपि कप्तान विल्सन ने बहुत कुछ कहा-सुना, किंतु टस से मस तक न हुए। स्वयं कर्नल रेली का बयान है कि मुझे स्वयं मेरी ही रेजिमेंट के सिपाहियों ने संगीनों से घायल किया है। डॉ० स्टुअर्ट साहब का कथन है कि मैंने उक्त साहब को विद्रोही सवारों के हाथ खुशामद से चूमते देखा था। इस पर भी इन दगाबाज़ों ने विद्रोहियों को न रोका, और अफ़सरों को क़त्ल होने से ज़रा भी नहीं बचाया।

निदान, जब कोई विद्रोही दृष्टि न पड़ा, तो हमने अफ़सरों की लाशों को ढूँढना शुरू किया। उन्हें इधर-उधर, मैदानों में और गिरजाघर तथा आस-पास के मकानों के निकट पड़ा पाया। सब लाशों को गारद के मकान के सहन में इकट्ठा किया। जिन अफ़सरों की लाशें ढूँढ़ने से मिल गईं, उनके नाम ये हैं --

कप्तान स्मिथ, कप्तान रोज़, लेफ्टिनेंट एडवर्ड, वायर फ़ील्ड, डॉ० बोजंग, लेफ्टिनेंट बटलर। इनके सिवा लेफ्टिनेंट स्बोर्न इनसाइन इंजुलो साहब भाग गए थे। पीछे हमारे पास सही-सलामत आ गए। इनमें से लेफ्टिनेंट बटलर के सिर पर एक सख्त ज़खम लगा था, जो उनके बयान के अनुसार शहरवालों के द्वारा लगा था। अब शहरवालों ने गिरजाघर और अंगरेज़ों की कोठियों को खूब लूटना शुरू किया। मेमें बड़ी