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पृष्ठ:ग़दर के पत्र तथा कहानियाँ.djvu/९४

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दूसरी कथा न किया। यहाँ तक तो आँखों देखी घटनाएँ मैंने कहीं। किंतु जब मैं गारद से चला आया, तो उसके बाद कुछ घटनाएँ प्रकट हुई। वे एक साहव की चिट्ठी से उद्धृत की जाती हैं, जो वहाँ उपस्थित थे, और दूसरे अँगरेजों के साथ भागे थे। ३८ रेजिमेंट के सिपाहियों ने जब अपने ही अफसरों पर गोलियाँ बरसानी शुरू की, तो तमाम अफ़सर एक मोरी के रास्ते, जो गारद के कमरे के अंदर थी, भागकर शरणापन्न हुए। किंतु जब तक भागें, तीन अफसर-कप्तान गार्डन, लेफ्टिनेंट स्मिथ और लेफ्टिनेंट रेलुवली-मारे गए। और, लेफ्टिनेंट स्बोर्न साहब के एक गोली टाँग में आकर लगो। कितु यह सबके साथ ठिकाने पर पहुँच गए, और जखम को बाँध-धूंधकर खंदक में कूद पड़े, और उसकी तह तक पहुंच गए। और भी अगरेज कूदने को तैयार थे कि लो और बच्चों की चीत्कार-ध्वनि आई। ये सब खियाँ गारद के कमरे में उपस्थित थीं। यह सुनकर सब अँगरेज़ कमरे में वापस गए । यद्यपि गोलियां बरस रही थीं, परंतु इन्होंने इसकी कुछ परवा न की, और सब स्त्रियों को एक-एक करके रूमालों को बाँधकर खंदक में उतार दिया, और खुद भी उतर गए। इसकी दूसरी तरफ की दीवार पर चढ़कर इन्हीं रूमालों के जरिए फिर सब लियों को खींच लिया। वहाँ से सब-के-सब यमुना की ओर चले, कितु प्रत्येक कदम पर भय लगा हुआ था कि कहीं विद्रोही न आ जाय, और हमें मार न डालें । किंतु ईश्वर का धन्यवाद है कि विद्रोहियों ने इनका पीछा नहीं