पृष्ठ:गीतारहस्य अथवा कर्मयोगशास्त्र.djvu/३३

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गीतारहस्य अथवा कर्मयोगशास्त्र । -भाग ७. गीता और ईसाइयों की वाइबल -ईसाईधर्म से गीता में किसी भी तत्व का लिया जाना असम्भव है-ईसाईधर्म यहूदीधर्म से धीरे-धीरे स्वतन्त्र शति पर नहीं निकला है-वह क्यों उत्पन्न हुया है, इस विषय में पुराने ईसाई परिढतों की राय-एसीन पन्ध और यूनानी तत्वज्ञान-बौद्धधर्म के साय ईसाईधर्म की अद्भुत समता-इनमें बौद्ध धर्म की निर्विवाद प्राचीनता-इस बात का प्रमाण कि, यहदियों के देश में बौद्ध यतियों का प्रवेश प्राचीन समय में हो गया था- श्रतएव ईसाईधर्म के तत्वों का बौद्धधर्म से ही अर्थात् पर्याय से वैदिक धर्म से ही अथवा गीता से ही लिया जाना पूर्ण सम्भव है-इससे सिद्ध होनेवाली, गीता की निस्सन्दिग्ध प्राचीनता। पृ.५०६-५६४