है और उसे अपनी तरफ से नाराज करके वह शायद जिन्दा न रह सकेगा। औरों की तो मै क्या कहूँ, मैने ही गोया अपने को उसके हाथों बेच दिया है। मुझे तो अब ऐसा लग रहा है कि मुझमे कोई ऐसी चीज खत्म हो गयी है जो पहले मेरे दिल मे डाह की आग-सी जला दिया करती थी। हेलेन अब किसी से बोले, किसी से प्रेम की बाते करे, मुझे गुस्सा नहीं आता। दिल पर चोट लगती जरूर है मगर उसका इजहार अकेले में आँसू बहाकर करने को जी चाहता है। वह स्वाभिमान कहाँ गायब हो गया नहीं कह सकता। अभी उसकी नाराजगी से दिल के टुकडे हो गये थे कि एकाएक उसकी एक उचटती हुई-सी निगाह ने या एक मुस्कराहट ने गुदगुदी पैदा कर दी। मालूम नहीं उसमे वह कौन-सी ताकत है जो इतने हौसलामद नौजवान दिलों पर हुकूमत कर रही है। उसे बहादुरी कहूँ, चालाकी और फुर्ती कहूँ, हम सब जैसे उसके हाथों की कठपुतलियों है। हममे अपनी कोई शख्सियत, कोई हस्ती नहीं है। उसने अपने सौन्दर्य से, अपनी बुद्धि से, अपने धन से और सबसे ज्यादा सबको समेट सकने की अपनी ताकत से हमारे दिलों पर अपना आधिपत्य जमा लिया है।
१ मार्च—कल आस्ट्रेलियन टीम से हमारा मैच खत्म हो गया। पचास हजार से कम तमाशाइयो की भीड़ न थी। हमने पूरी इनिग्स से उनको हराया और देवताओं की तरह पुजे। हममें से हर एक ने दिलोजान से काम किया और सभी यकसॉ तौर पर फूले हुए थे। मैच खत्म होते ही शहरवालों की तरफ़ से हमें एक शानदार पार्टी दी गयी। ऐसी पार्टी तो शायद वाइसराय के सम्मान में भी न दी जाती होगी। मैं तो तारीफों और बधाइयो के बोझ से दब गया। मैने ४४ रनों मे पांच खिलाड़ियों का सफाया कर दिया था। मुझे खुद अपने भयानक गेद फेकने पर अचरज हो रहा था। जरूर कोई अलौकिक शक्ति हमारा साथ दे रही थी। इस भीड में बम्बई का सौन्दर्य अपनी पूरी शान और रगीनी के साथ चमक रहा था और मुझे दावा है कि सुन्दरता की दृष्टि से यह शहर जितना भाग्यशाली है दुनिया का कोई दूसरा शहर शायद ही हो। मगर हेलेन इस भीड़ में भी सबकी दृष्टियों का केन्द्र बनी हुई थी। यह जालिम महज हसीन नहीं है, मीठा बोलती भी है और उसकी अदाएं भी मीठी है। सारे नौजवान परवानों की तरह उस पर मॅडला रहे थे, एक से एक खूबसूरत, मनचले, और हेलेन उनकी भावनाओं से खेल