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गुप्त धन
 

माँ को हँसी आ गयी। मगर केशव को कई दिनो तक अपनी गलती पर अफसोस होता रहा। अण्डो की हिफाजत करने के जोम में उसने उनका सत्यानाश कर डाला। इसे याद करके वह कभी-कभी रो पडता था।

दोनो चिड़ियाँ बहाँ फिर न दिखायी दी।

—'खाके परवाना' से