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गुप्त धन
 

हुआ। वह कहना चाहती थी आप लोग दूसरी तरफ बैठे, पर वही औरत जो खून का बदला लेने जा रही थी, सामने यह खतरा देखकर कॉप उठी। वह दोनों शैतान उसे सिमटते देखकर और भी करीब आ गये। माया अब वहाँ न बैठी रह सकी। वह उठकर दूसरे बर्थ पर जाना चाहती थी कि उनमें से एक ने उसका हाथ पकड़ लिया। माया ने जोर से हाथ छुड़ाने की कोशिश करके कहा—तुम्हारी शामत तो नहीं आयी है, छोड दो मेरा हाथ, सुअर?

इस पर दूसरे आदमी ने उठकर माया को सीने से लिपटा लिया और लड़—खड़ाती हुई जबान से बोला—वेल, हम तुमको बहुत-सा रुपया देगा।

माया ने उसे सारी ताकत से ढकेलने की कोशिश करके कहा—हट जा हरामजादे, वर्ना अभी तेरा सर तोड़ दूंगी।

दूसरा आदमी भी उठ खड़ा हुआ और दोनो मिलकर माया को बर्थ पर लिटाने की कोशिश करने लगे। यकायक यह खटपट सुनकर ऊपर के बर्थ पर सोया हुआ आदमी चौका और उन बदमाशो की हरकत देखकर ऊपर से कूद पड़ा। दोनो गोरे उसे देखकर माया को छोड उसकी तरफ झपटे और उसे चूंसे घूँसे मारने लगे। दोनो उस पर ताबड़तोड़ हमले कर रहे थे और वह हाथों से अपने को बचा रहा था। उसे वार करने का कोई मौका न मिलता था। यकायक उसने उचक-कर अपने बिस्तरे में से एक छुरा निकाल लिया और आस्तीने समेटकर बोला—तुम दोनों अगर अभी बाहर न चले गये तो मैं एक को भी जीता न छोडूंगा।

दोनो गोरे छुरा देखकर डरे मगर वह भी निहत्थे न थे। एक ने जेब से रिवाल्वर निकाल लिया और उसकी नली उस आदमी की तरफ करके बोला—निकल जाओ, रैस्कल!

माया थरथर काँप रही थी कि न जाने क्या आफत आनेवाली है। मगर खतरा हमारी छिपी हुई हिम्मतो की कुजी है। खतरे में पड़कर हम भय की सीमाओं से आगे बढ़ जाते है और वह कुछ कर गुजरते है जिस पर हमे खुद हैरत होती है। वही माया जो अब तक थरथर कॉप रही थी, बिल्ली की तरह कूदकर उस गोरे की तरफ लपकी और उसके हाथ से रिवाल्वर खीचकर गाड़ी के नीचे फेंक दिया। गोरे ने खिसियाकर माया को दाँत काटना चाहा मगर माया ने जल्दी से हाथ खींच लिया और खतरे की जंजीर के पास जाकर उसे जोर से खीचा। दूसरा गोरा अब तक किनारे खड़ा था। उसके पास कोई हथियार न था इसलिए वह छुरी के सामने न आना चाहता था। जब उसने देखा कि माया ने जजीर खींच ली तो भीतर का