उदू-अखबार समशुल अखबार पहले लेखमें हमने “समशुल अखबार"का नाम भी लिया है । इस अखबारकी उमर भी अवध अखबारकी तरह ४५ सालकी है। यह दो बड़े-बड़े पन्नोंपर निकलता है । उर्दू अखबारों में इतने बड़े-बड़े पन्ने और देखनेमें नहीं आये । यद्यपि यह ४५ सालसे निकलता है, तथापि जहां था वहीं है। मानो वर्तमान समयसे वह अर्द्ध शताब्दी पीछे पड़ा हुआ है । वही पुराने समयकी भाषा लिखता है, वही उसका पुराना ढांचा है। एडीटोरियल इसमें देखा ही नहीं, पालिसी इसकी कुछ है ही नहीं; यदि कुछ पालिसी है तो यही कि मुसलमानोंकी बहुत तारीफ करना, अपना मुसलमानपन दिग्वाने में अन्य धर्मावलम्बियोंकी कुछ निन्दा कर जाना, अथवा मुलताने रूमके कुछ बेममयके गीत गाना। यह अखबार इस सिरसे उम सिरे तक दूसरे अग्यबारोंकी नकलसे भरा रहता है। हाँ, कभी-कभी अरबी अग्वबारोंके कुछ लेखोंका तरजमा इसमें होता है। पर वह तरजमा ऐसा होता है कि उसका समझना कठिन हो जाता है। कुछ अंगरेजी अखबारोंका तरजमा भी इसमें छपता है, उसे पढ़कर भी माशाअल्लाह कहना पड़ता है । नमूनेके लिये पांच सात पंक्ति नीचे नकल कर देते हैं- ___“ो जेण्टलमेन, मैं आपके एडं सके लिये जो मुत्तजम्मिन खैरेमकदम है, आपका दिली शुक्रिया अदा करता हूं। आपका एड्रस कुछ फकत अपने इलताफाना इजहारातके बाइस जो मेरे बारेमें हैं, मुझे खुश नहीं करता है, बल्कि अललखुसूस इसलिये कि इस एड़े ससे आपकी अंजमन पर रोशनी पड़तो है- इन पंक्तियोंसे यदि कुछ अर्थ निकलता हो तो निकाल लिया जाय। इसकी कीमत भी बेढब है । यद्यपि यह साप्ताहिक है, तथापि सरकारसे ४८) रुपया लेता है ! यद्यपि आजकल सरकार किसी अखबार- [ २६७ ।
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