पृष्ठ:गुप्त-निबन्धावली.djvu/२९०

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उर्दू-अखबार लिये अवध अखबारमें लिखना आरम्भ किया था। उसमें अधिक हिस्सा हंसने हंसानेहीका है। ___ यद्यपि उर्दू अखबार-नवीसीकी उस समय तक बहुत उन्नति नहीं हुई थी, तथापि अवधपञ्चका पञ्चाना ढङ्ग बहुत उन्नत था. यह बड़े आश्चर्य्यकी बात है। विलायतके पञ्च और दूसरे दिल्लगीवाज अख- बारोंमें जिस प्रकारकी ऊंचे दर्जेकी दिल्लगियां होती हैं, वैसे ही अवध- पञ्चमें होती थीं। इसमें कुछ शक नहीं कि अवधपञ्च विलायती कागजोंसे बहुत कुछ मदद लेता था, तथापि उसमें निजके लेख ही अधिक होते थे और वही अधिक अच्छे होते थे । ___ अवधपञ्चमें तीन विशेष गुण थे। वह लिखता बड़ी स्वाधीनतासे था और उसको दिल्लगी बड़ी ही मौकेकी होती थी। दूसरे वह जानता था कि इस देशके लिये कौनसी पालिसी दरकार है। वह सदा प्रजाका तरफदार रहा। यद्यपि वह हर मामलेमें दिल्लगी हीसे बोलता था, पर उसकी दिल्लगी अच्छे-अच्छे देशहितैपियोंकी रायका निचोड़ होती थी। तीसरी बात उसमें बढ़कर यह थी कि उसकी भाषा शुद्ध और पक्की उर्द गिनी जाती थी। जिस आदमीके लिखे चार लेख अवधपञ्चमें छप जाते, वह समझ लेता था कि अच्छी उद लिखनेकी मानो उसे सनद मिल गई। यह पिछली बात आजतक किसी उर्दू अखबारको नसीब नहीं हुई। इस समय अवधपञ्चकी अच्छी दशा नहीं है, पर उद्देके लिये कुछ पूछना हो तो आज भी उसके रोगग्रस्त एडीटरके पास ही दौड़ना पड़ता है। __अवधपञ्चको अच्छे अच्छे लेखक मिले थे। बड़े बड़े नामी आदमी उसमें लिखना अपनी इज्जत समझते थे। स्वर्गीय पण्डित रननाथ भी आदिमें अवधपञ्चमें लिखा करते, जो पीछे उर्दूके एक अद्वितीय लेखक गिने गये । और कितने ही अच्छे अच्छे लेखक इसमें लिखते थे, जिन्होंने [ २७३ ]