पृष्ठ:गुप्त-निबन्धावली.djvu/३००

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उर्दू-अखबार इसी प्रकार जो लोग हिन्दुओंके धर्म और समाज सम्बन्धी भावोंकी अवज्ञा करके हिन्दुओंका सुधार करना चाहते हैं उनका श्रम कहांतक सफल हो सकता है, यह उनके विचारनेकी बात है। दुर्भाग्यसे इस समय हिन्दुओंके जितने नेता हैं, सब अपने-अपने घरके चौधरी हैं और सबकी सात-सात हाथकी तलवार है । इससे वह हिन्दुओंकी कैसी रक्षा कर सकगे। इन सब बातों पर हिन्दुस्तानीके सम्पादकको विचार करना चाहिये । बीस मालके तजुरबेने उनको बहुत कुछ सिखाया होगा। तीसरा दौर आजकल उर्दू अग्वबारोंका नया और तीसरा समय है। इस तीसरे दौरके अग्वबागेहीकी कुछ चलती बनती है । वही अधिक छपते- विकते हैं । उनके मूल्य भी बहुत कम हैं और माथ-साथ उनके लिग्बनेके ढङ्गमें भी कुछ नवीनता है। इमीसे उनका आदर भी खामा है। उनके सम्पादक भी न्यूनाधिक अंगरेजी पढ़े हुए हैं और वह जानते हैं कि विलायत आदिमें क्योंकर अखबार चलाये जाते हैं । वह अंगरेजी अख- बारोंके सहारेसे अपने लिये अखबारनवीसीका एक पथ बना रहे हैं । उनकी यह चाल समयानुकूल है, इससे सफलताकी आशा है। पैसा अखबार इस नई चालका चलानेवाला पैसा अग्ववार है। पञ्जाबके उर्दू अखबारोंमें इस समय उमीका सबसे अधिक नाम है। उसीका प्रचार सबसे अधिक सुना जाता है। इस समय उसको निकलते १७ साल हो चुके हैं। उसकी अठारहवीं जिल्द गत जनवरी माससे आरम्भ है । इसका जन्म लाहोरके पास गूलरानवाला नामके कसबेमें हुआ। उसके मालिक और एडिटर मुंशी महबूबेआलम वहींके निवासी मुसलमान राजपूत हैं। उनके छोटे भाई मनेजर हैं । पैसा अखबारको हमने उसके