हिन्दी-अखबार भूल सुधार गत बार “सजनकीर्तिसुधाकर" की बात कहने में हमने कुछ भूल की है। पूज्यवर पण्डित गोविन्दनारायण जी मिश्र और पण्डित दुर्गाप्रसादजी मिश्रके हम कृतज्ञ हैं कि उन्होंने उस लेखकी भूल भी बता दी और उसके सम्बन्धमें कुछ और आवश्यक बात भी बताई हैं। हमारा यह लिखना कि पण्डित हरमुकुन्दजी शास्त्री आदिमें सजनकीर्ति- "-सुधाकरके सम्पादक थे, ठीक नहीं है। उक्त पत्रके आदि सम्पादक पण्डित बंशीधर वाजपेयी थे, जो पण्डित लल्लूलालजीके समयके सुलेखक थे। लल्लूलालजीके साथ उन्होंने बहुत दिन तक काम किया था। हिन्दीके अच्छे मम्मज्ञ थे। वह जब तक उस पत्रके सम्पादक रहे, तब तक उक्त पत्र बहुत अच्छी रीतिसे चलता रहा। उस समय स्वर्गाय कविराजा सांवलदासजी भी उक्त पत्रमें ऐतिहासिक और कविता सम्बन्धी लेख लिखते थे। कविराजा उस समयके नामी लेखकोंमेंसे थे । “वीरविनोद” नामक राजस्थानका इतिहास उन्होंने लिखा था। जिसका अधिक भाग सज्जन यन्त्रालयमें छपा पड़ा है। अपने ऐतिहासिक लेखोंमें उन्होंने कर्नल टाड आदिकी भूलं भी दिखाई हैं। ___ श्रीनाथद्वारेमें एक लेखक मण्डली थी। उसमें पण्डित दामोदर शास्त्री, पण्डित मोहनलालजी-विष्णुलालजी पंड्या और लाला राम- प्रसादजी अग्रवाल आदि कई एक सज्जन शामिल थे। यह लोग अच्छे- अच्छे लेखोंसे सज्जनकीर्तिसुधाकरकी बहुत कुछ सहायता करते थे। दामोदर शास्त्रीजी बिहारबन्धुके प्रथम एडीटर थे और शायद इस बातको बहुत कम आदमी जानते होंगे कि बिहारबन्धुका जन्म बांकी- पुरमें नहीं, कलकत्तमें हुआ था। पण्डित केशवरामजी भट्टके बड़े भाई पण्डित मदनमोहनजी भट्टने बिहारबन्धुको कलकत्तसे जारी किया था। कोई छः साल तक वह कलकतेसे निकलता रहा। दामोदर शास्त्रीजीने [ ३७३ ]
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