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पृष्ठ:गुप्त-निबन्धावली.djvu/६३७

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गुप्त-निबन्धावली सुट-कविता - (६) चाहैं चंवर न छत्र राज-भूषन गजबाजी। अन्न दूध भर पेट मिलै याहीमैं राजी । मोटो सोटो वस्त्र मिलै तन ढाकन कारन । केवल चाहत सीत धूपको कष्ट निवारन । अब मात दया कर देहु बर, लागि रहैं तुम्हरे चरन । हियसों न बिसारहिं हम कबहुँ, अपनो सांचों हिन्दुपन ॥ -हिन्दी-बङ्गवासी, १ नवम्बर १८९७ [...]