गुप्त-निबन्धावली चरित-चर्चा डालती है। आपका तारीखी ज़खीरा मालूमातसे पुर है । मगर महदूद खयालीने भी इसमें जगह ली है। मुवरिख अपने नाज़रीनको३८ सौ साल आगे ले जानेकी कोशिश किया करते हैं, मगर आप अपने नाज़रीनको सौ साल पीछे हटानेकी ख्वाहिश रखते हैं। बावजूद इन सब बातोंके नसरे उद्देके एक सीगेका काम उन्होंने बड़ी उम्दगीसे किया, है-इसमें शक नहीं। ___ मुंशी सज्जाद हुसेनने ज़राफतको तरको दी। वह अपनी तज़ के मूजिद३९ हैं । लखनऊकी उर्दूको आपने बहुत बुलन्द मर्तबापर पहुंचाया। तीस सालसे आप बराबर इस काममें मेहनत करते चले आते हैं। अगरचे आपने नसरको पसंद किया, मगर नज्मको ४० भी भूले नहीं । नज्ममें भी आपने वह खूबी पैदा करती है, जो नसरमें हंसी, दिल्लगी और हिजूसे४१ लेकर साइन्स फलसफ़ा८२ और पोलिटिक्स तक कोई मुश्किलसे मुश्किल बात और सख्तसे सख्त मज़मून ऐसा नहीं, जो "अवध पंच"की ज़रीफ़ाना नज्मो नसरमें अदा४३ न हो सके। आपके क़लमने उर्दूमें यह खास खुबी पैदा कर दी। इन सब बुजगोंने उर्दूके एक-एक सीगेको लिया और इसका काम बहुत माकूलीयतसे अंजाम दिया। मौलवी मुहम्मद हुसेन आजादने भी उसी तरह एक सीन का काम किया। मगर इनका काम सबसे ज्यादा ज़रूरी है। उन्होंने जो किया वह शायद दूसरेसे न होता, क्योंकि वह इन्हींके करनेका था। एक तो दूसरोंने इनके कामकी तरफ़ तवजह ही न की थी, और न अब भी किसीकी तवजह इधर है। लेकिन अगर कोई करता भी, तो 'आज़ाद'का-सा फ़राखदिल४४ कहाँसे लाता ? 'आज़ाद'ने सबको उर्दूकी असली शक्ल दिखा दी। उर्दू क्या थी, कैसे बनी, आयन्दा इसकी क्या ३८-पाठकों। ३९-आविश्कारक। ४.-ग्द्य। ४१-निन्दा । ४२-दर्शन । ४३-व्यक्त । ४४-उदार हृदय । [ ८२ ]
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