पृष्ठ:गुप्त धन 1.pdf/२०९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
अपनी करनी
१९७
 


नहीं कि इन तीन महीनों में मेरे साढ़े चार सौ रुपये के जेवर बिक गये। न मालूम क्यों मैं उससे यह सब कुछ कह गयी। जब इन्सान का दिल जलता है तो जबान तक उसकी आंच आ ही जाती है। मगर मुझसे जो कुछ खता हुई उससे कई गुनी सख्त सज़ा तुमने मुझे दी है, मेरा बयान लेने का भी सब्र न हुआ। खैर, तुम्हारे दिल की कैफ़ियत मुझे मालूम हो गई, तुम्हारा दिल मेरी तरफ़ से साफ़ नहीं है, तुम्हें मुझपर विश्वास नहीं रहा वर्ना एक भिखारिन औरत के घर से निकलने पर तुम्हें ऐसे शुबहे क्यों होते।

मैं सर पर हाथ रखकर बैठ गया। मालूम हो गया कि तबाही के सामान पूरे हुए जाते हैं।

दूसरे दिन मैं ज्यों ही दफ्तर पहुंचा चोबदार ने आकर कहा-महाराजा साहब ने आपको याद किया है।

मैं तो अपनी किस्मत का फैसला पहले से ही किये बैठा था। मैं खूब समझ गया था कि वह बुढ़िया खुफ़िया पुलिस की कोई मुखबिर है जो मेरे घरेलू मामलों की जांच के लिए तैनात हुई होगी। कल उसकी रिपोर्ट आयी होगी और आज मेरी तलबी है। खौफ़ से सहमा हुआ लेकिन दिल को किसी तरह संभाले हुए कि जो कुछ सर पर पड़ेगी देखा जायगा, अभी से क्यों जान दूं, मैं महाराजा की खिदमत में पहुंचा। वह इस वक्त अपने पूजा के कमरे में अकेले बैठे हुए थे, काग़ज़ों का एक ढेर इधर-उधर फैला हुआ था और वह खुद किसी खयाल में डूबे हुए थे। मुझे देखते ही वह मेरी तरफ़ मुखातिब हुए, उनके चेहरे पर नाराजगी के लक्षण दिखायी दिये,बोले-कुंअर श्याम सिंह, मुझे बहुत अफ़सोस है कि तुम्हारी बाबत मुझे जो बातें मालूम हुई हैं वह मुझे इस बात के लिए मजबूर करती हैं कि तुम्हारे साथ सख्ती का बर्ताव किया जाय । तुम मेरे पुराने वसीक़ादार हो और तुम्हें यह गौरव कई पीढ़ियों से प्राप्त है। तुम्हारे बुजुर्गों ने हमारे खानदान की जान लगाकर सेवाएं की हैं और उन्हीं के सिले में यह वसीक़ा दिया गया था लेकिन तुमने अपनी हरकतों से अपने को इस कृपा के योग्य नहीं रक्खा। तुम्हें इसलिए वसीक़ा मिलता था कि तुम अपने खानदान की परवरिश करी, अपने लड़कों को इस योग्य बनाओ कि वह राज्य की कुछ खिदमत कर सकें, उन्हें शारीरिक और नैतिक शिक्षा दो ताकि तुम्हारी जात से रियासत की भलाई हो, न कि इसलिए कि तुम इस रुपये को बेहूदा ऐशपरस्ती और हरामकारी में खर्च करो। मुझे इस बात से बहुत ही तकलीफ़ होती है कि तुमने