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वासना की कड़ियाँ
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भी पहुंचती है या नहीं। कौन जाने यह सच हो कि मुहब्बत पहले माशूक के दिल में पैदा होती है। ऐसा न होता तो वह सब को तोड़नेवाली निगाह मुझ पर पड़ती ही क्यों? आह, इस हुस्न की देवी की बातों में कितना लुत्फ़ आयेगा। बुलबुल का गाना सभी सुनते हैं पर फूल का गाना किसने सुना है। काश मैं बह गाना सुन सकता, उसकी आवाज़ कितनी दिलकश होगी, कितनी पाकीजा, कितनी नूरानी, अमृत में डूबी हुई और जो कहीं वह भी मुझ से प्यार करती हो तो फिर मुझसे ज्यादा खुशनसीब दुनिया में और कौन होगा?

इस खयाल से कासिम का दिल उछलने लगा। रगों में एक हरकत-सी महसूस हुई। इसके बावजूद कि बांदियों के जाग जाने और मसरूर की वापसी का धड़का लगा हुआ था, आपसी बातचीत की इच्छा ने उसे अंधीर कर दिया, बोला—हुस्न की मलका, यह जख्मी दिल आपकी इनायत की नजर का मुस्तहक है। कुछ उसके हाल पर रहम न कीजिएगा?

शहज़ादी ने नकाब की ओट से उसकी तरफ़ ताका और बोली—जो खुद रहम का मुस्तहन हो, वह दूसरों के साथ क्या रहम कर सकता है? कैद में तड़पते हुए पंछी से, जिसके न बाल हैं न पर, गाने की उम्मीद रखना बेकार है। मैं जानती हूं कि कल शाम को मैं दिल्ली के ज़ालिम बादशाह के सामने बांदियों की तरह हाथ बांधे खड़ी हूंगी। मेरी इज्जत, मेरे रुतबे और मेरी शान का दारोमदार खानदानी इज्जत पर नहीं बल्कि मेरी सूरत पर होगा। नसीब का हक्क पूरा हो जायगा। कौन ऐसा आदमी है जो इस ज़िन्दगी की आरजू रक्खेगा? आह, मुलतान की शहजादी आज एक जालिम, चालबाज, पापी आदमी की वासना का शिकार बनने पर मजबूर है! जाइए, मुझे मेरे हाल पर छोड़ दीजिए। मैं बदनसीब हूँ, ऐसा न हो कि मेरे साथ आपको भी शाही गुस्से का शिकार बनना पड़े। दिल में कितनी ही बातें हैं मगर क्यों कहूं, क्या हासिल? इस भेद का भेद बना रहता ही अच्छा है। आपमें सच्ची बहादुरी और खुददारी का जौहर है। आप दुनिया में नाम पैदा करेंगे, बड़े-बड़े काम करेंगे, खुदा आपके इरादों में बरकत दे—यही इस आफ़त की मारी हुई औरत की दुआ है। मैं सच्चे दिल से कहती हूं कि मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं है। आज मुझे मालूम हुआ कि मुहब्बत वैर से कितनी पाक होती हैं। वह उस दामन में मुंह छिपाने से भी परहेज़ नहीं करती जो उसके अजीज़ों के खून से लिथड़ा हुआ हो। आह यह कम्बख्त दिल उबला पड़ता है। अपने कान बन्द कर लीजिए, वह अपने आपे में नहीं है, उसकी बातें न सुनिए। सिर्फ आपसे यही बिनती है कि इस गरीब