तो पी जाने की ही वस्तु है।
धनिया पति को फटकारने लगी। ऐसे अवसर उसे बहुत कम मिलते थे। होरी उससे चतुर था, पर आज बाजी उसके हाथ थी। हाथ मटकाकर बोली-क्यों न हो, भाई ने पंद्रह रुपये कह दिए, तो तुम कैसे टोकते? अरे, राम-राम। लाड़ले भाई का दिल छोटा हो जाता कि नहीं। फिर जब इतना बड़ा अनर्थ हो रहा था कि लाड़ली बहू के गले पर छुरी चल रही थी, तो भला तुम कैसे बोलते । उस बखत कोई तुम्हारा सरबस लूट लेता, तो भी तुम्हें सुध न होती।
होरी चुपचाप सुनता रहा। मिनका तक नहीं। झुंझलाहट हुई, क्रोध आया, खून खौला, आंख जली, दांत पिसे, लेकिन बोला नहीं। चुपके-से कुदाल उठाई और ऊख गोड़ने चला।
धनिया ने कुदाल छीनकर कहा-क्या अभी सबेरा है जो ऊख गोड़ने चले? सूरज देवता माथे पर आ गए। नहाने-धोने जाव। रोटी तैयार है।
होरी ने घुन्नाकर कहा-मुझे भूख नहीं है।
धनिया ने जले पर नोन छिड़का-हां, काहे को भूख लगेगी । भाई ने बड़ेबड़े लड्डू खिला दिए हैं न। भगवान् ऐसे सपूत भाई सबको दें।
होरी बिगड़ा और क्रोध अब रस्सियां तुड़ा रहा था-तू आज मार खाने पर लगी हुई ।
धनिया ने नकली विनय का नाटक करके कहा-क्या करूं, तुम दुलार ही इतना करते हो कि मेरा सिर फिर गया है।
‘तू घर में रहने देगी कि नहीं?'
'घर तुम्हारा, मालिक तुम, मैं भला कौन होती तुम्हें घर से निकालने वाली?
होरी आज धनिया से किसी तरह पेश नहीं पा सकता। उसकी अक्ल जैसे कुंद हो गई है। इन व्यंग्य-बाणों के रोकने के लिए उसके पास कोई ढाल नहीं है। धीरे से कुदाल रख दी और गमछा लेकर नहाने चला गया। लौटा कोई आध घंटे में, मगर गोबर अभी तक न आया था। अकेले कैसे भोजन करे। लौंडा वहां जाकर सो रहा। भोला की वह मदमाती छोकरी है न झुनिया। उसके साथ हंसी-दिल्लगी कर रहा होगा। कल भी तो उसके पीछे लगा हुआ था। नहीं गाय दी, तो लौट क्यों नहीं आया। क्या वहां ढई देगा।
धनिया ने कहा -अब खड़े क्या हो? गोबर सांझ को आएगा।
होरी ने और कुछ न कहा। कहीं धनिया फिर न कुछ कह बैठे।
भोजन करके नीम की छांह में लेट रहा।
रूपा रोती हुई आई। नंगे बदन एक लंगोटी लगाए, झबरे बाल इधर-उधर बिखरे हुए। होरी की छाती पर लोट गई। उसकी बड़ी बहिन सोना कहती है- गाय आएगी, तो उसका गोबर मैं पाथूंगी। रूपा यह नहीं बर्दाश्त कर सकती है। सोना ऐसी कहां की बड़ी रानी है कि सारा गोबर आप पाथ डाले। रूपा उससे किस बात में कम है? सोना रोटी पकाती है, तो क्या रूपा बर्तन नहीं मांजती? सोना पानी लाती है, तो क्या रूपा कुएं पर रस्सी नहीं ले जाती? सोना तो कलसा भरकर इठलाती चली आती है।रस्सी समेटकर रूपा ही लाती है। गोबर दोनों साथ पाथती हैं। सोना खेत गोड़ने जाती है, तो क्या रूपा बकरी चराने नहीं जाती? फिर सोना क्यों अकेली गोबर पाथेगी? यह अन्याय रूपा कैसे सहे?