पृष्ठ:गोरख-बानी.djvu/१५

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[गोरख-वानी १४ नकल करनेवाले ने सेवादास की कहा है। (अ) इनके अतिरिक्त इन योगियों की रचनाओं के एक संस्कृत अनुवाद की हस्तलिखित प्रति मिलती है जो सरस्वती भवन, काशी में है। इसमें लिपिकाल नहीं दिया गया है और प्रारंभ का कुछ अंश नहीं है। इन सब प्रतियों के द्वारा अब तक गोरखनाथ के नाम से प्रचलित चालीस छोटी-मोटी रचनाओं का पता चला है । कौन-कौन रचना किस किस प्रति में आई है, यह निम्नलिखित सरणी में दिखाया गया है- 83 (च) (क) (छ) (ङ) (घ) (ज) (अ) (झ) १७१५...१७४३ १७९४ १८२५ १८५५... ..१७६४ १. सवदी २. पद ३. सिष्यादरसन ४. प्रांण संकली ५. नरवै बोध ६. प्रारमबोध (१) ७. अभैमात्रा जोग ८. पंद्रह तिथि ६. सप्त वार १०. मछीद्र गोरखबोध ११. रोमावली

१२. ग्यानतिलक १२. ग्यानचौतीसा १४. पंचमात्रा १५. गोरख गणेशगोष्टी * १६. गोरख दत्त गोष्टी (ग्यान * दीप बोध) १७. महादेव गोरख गुष्टि ® १९. सिष्ट पुरान १६. दयाबोध 883 88