पृष्ठ:गोरख-बानी.djvu/२१९

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१८० [गोरख-बानी रहनी, अजाचीक भिक्या२, सवद सोंगी, अनहद कोंगुरी स्याम सरोवर', अमृत५ प्याला, निहंचल रिधी, सति करामाति, मुक्ति सिधि, अलेव म्यांन", अटल समाधि, निराकार तरवर, जुग पलव', अमी फल o इती अभै मात्रा संपूर्ण समय १. (५) में इससे. पहिले 'अमंग तरवर, अचल छाया, अमर मूल, पुग पलव, श्रमी फली पुमित्र, यत संतोष फल, निराकार कलप वृक्ष, सिंघ सरोवर' अधिक है। २. (प) मिप्पा । ३. (घ) अनाहद । ४. (५) में 'त्यंम सरोवर' पर नहीं 'निरास मढी' के पहले है। इसके बाद (घ) में 'पवन आभारी अष्टांग जोग' अधिक है। (घ) यम्रत । ६. (३) निहिचल रिधि । ७. (१) अनार दरसन । (३) में इसके पदिसे 'अनपा जाप' और इससे याद निरं. गरिमान' अपित है। ८. (प) में ये स्व नदी है, किन्तु इनके स्थान पर है- 'मार माना सव सार। प्रसार निरंजन निराकार पंव भीगोरपनाप जोगी। मी गति मापंत साना महिन्द्र प्रसादे।'