[गोरसन्यानी 1 गोरप-स्वामी काया मधे के लप चंद । पुहुप मधे कहां बसै गंध । दूध मधे कहां बसै घीव । काया मधे कहां पसै जीव ॥३१॥ मछिंद्र-वधू काया मधे व लष चंद। पहूप' मधे चेतनि गंध । दूध मधे निरंतर बसै घीव । काया मधे सरय च्यापीक जीव ॥३२ गोरप-स्वामी कहां से चंद कहां बसें सुर । कहां वसे नादविंद का मूर। कहां होइ हंसा पीवै पाणी, उलटी सक्ति'आप घरि आयीं ॥३३॥ मछिंद्र-अवधू उर. बस चंद, अरधैं यसै सूर । हिग्दै यसै नाद विद का मूर। गगन चदि हंसा पोवै पाणी । उलटी सफि आप घरि आणी ॥३४॥ गोरप-स्वामी कयं उतपन्यों नाद, कर्थ नाद समभवते. कोण ले थापते 'नाई, कयं नादं विलीयते ॥ ३५ ॥ ममिंद्र-अवधू ॐकार उतपनते२ नाद, नाद मुग्नि समिभवते. सवन ले थापने" नाद, नादं निरंजन बिलीयते ॥ ३६॥ गोरप-स्वामी नादेन नादिया बिंदेन विदया, गगनेन लाइबाबासा । नाद विद दोऊ न होडगा, तब प्रॉन का कहां होगा पासा ॥३॥ महिंद्र-श्रवधू नादे भी नादिया विदे भी विदया, गगने भी लाइयो पासा। नाद यिद दोऊ न होइगा', तर प्रांगण का निरंतर होडगा यासा ॥३॥ गोरग-म्यांमी प्रकार टिमी निराकार दोइसी२०,पयन न होसी पाणी। पर मर दोऊ न होमी, नय ई.स की कौन महनांगा ॥३९।। ..(८) पदार । २. (क) वनां। १ (क) य । ४. (प) मारी। . (८) ना. (मुनि । ७. (प)। ८. (क) पारे। (प) टारना । ...(4) feri !! (1) ले . १२. (क) नाद । १३. (२) ४.(परा । १५. (ए) । १६. (6) गम' | १८. (C) मंदिया। १: (१) प्रादपुग्म का निरन् । ..(4। २१ (नदी। .
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