पृष्ठ:गोरख-बानी.djvu/२८१

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[*]—(8) सिस्ट पुराण ॐएक उपरांति' लेष नाहीं । दोय पापै सिस्टि नाहीं । आपा पार्ष परचा नाहीं । काया उपरांति क्षेत्र नाहीं । सील उपरांति व्रत नाहीं। चक्षु उपरांति दृष्टि नाहीं । श्रवण ऊपरि सुरति नाहीं । निर्भय उपरांति अभय नाहीं । संजम उपरांति सुचि नाहीं. । संतोष उपरांति सुख नाहीं । मर११ उपरांति' सिद्धि नाहीं। अभय २ उपरांति करामति नाहीं। माता उपरांति जन्म १३ नाहीं । गर्भ'४ उपरांति नरक नाहीं । पल त१५ उपरांति हाणि नाहीं । चित चंचल१६ उपरांति रोग नाहीं। विध१७ उपरांति' मृत्यु१८ नाहीं। काल उपरांति वैरी नाहीं। नासिका उपरांति रूप नाहीं। दया उपरांति' धर्म नाहीं। ध्यान ९ उपरांति ग्रंथ नाहीं। चंदन उपरांति काष्ट नाहीं ° | बिंद उपरांति उत्पति नाही। सिस्ट पुराण (घ), (ङ) और (अ) के आधार पर । वाक्यों के क्रम में बहुत अंतर है । (घ) में ३१, (ङ) में ६० और (अ) में ४५ वाक्य हैं । १. (घ) ऊपरि । २. (ड) में यह वाक्य अधिक है-सिद्धि उपरांति ब्रह्मा नाहीं । ३. (घ) में यह वाक्य अधिक है-गुरु पापै ग्यांन नाहीं। ४. (ब) में यह वाक्य अधिक है-आत्मा उपरांति देवता नाहीं । ५. (घ) सुचि । ६. (घ) नेत्रां । ७. (घ) में यह वाक्य नहीं है । ८. (घ) निभै भै । ९. (घ) पाक । १०. (घ) में यह वाक्य अधिक है। जग उपरांति व्रत नाहीं। ११. (घ) में अमृत । १२. (घ) अपभै । १३. (घ) जनम । १४. (घ) ग्रभ। १५. (घ) पल । १६. (घ) चिता। १७. (घ) वृघ । १८. (घ) मृति । १९. (घ) गिनांन । २०. यहां पर (घ) में में यहे वाक्य अधिक है-सिव उपरांति देवता नाहीं । सबद उपरांति वाण नाहीं । और (E) में ये वाक्य अधिक है-फकीरी उपरांति पदवी नाही। मनसा उपरांति माया नाहीं। निहचल उपरांति जोग