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गोरा

गोरा । 2 होने का खयाल करके उसके हृदयको चोट लगी। उसने पहले तो कमी किसी दिन ऐसे असंयमका भाव नहीं प्रकट किया । अन्तको मनमें यह पका इरादा कर लिया कि आगे अब कभी ऐसी गलती नहीं होगी। आज हारान बाबूके आते ही बरदासुन्दरीने उन्हे बाड़में ले जाकर कहा-अच्छा पानू बाबू आप हमारी सुचरिता से व्याह करेंगे, यह बात सभी के मुंह से सुन पढ़ती है, लेकिन आपके मुँह से तो इस बारे में कभी कोई बात नहीं सुनने को मिलती। अगर सचमुच आपका ऐसा इरादा हो तो उमे स्पष्ट करके क्यों नहीं कहते ? हारान बाबू अव और देर न कर सके। इस समथ वह सुचरिता को किसी तरह अपने हाथमें कर सकें तो फिर निश्चित हो जायँ। सुचरिता की अपने ऊपर भक्ति और ब्रह्म समाज की हितचिन्तना के बारेमें योग्यता, दोनों बातों की परीक्षा तो पीछे भी की जा सकती है। हारानबाजूने बरदासे कहा-इसके कहने की जरूरत नहीं थी, इससे नहीं कहा। सुचरिताकी अवस्था अगरह सालको हो जानेकी राह देख रहा था-~बस । वरदाने कहा-आप हर बात में जरा जरूरत से ज्यादा बढ़ जाते हैं। हम लोग तो लड़की की शादी के लिये चौदह बरस ही काफी समझते है उस दिन चाय पीने के टेबिल पर सुचरिता का ढंग देखकर परेश बाबू दङ्ग हो गये । सुचरिताने बहुत दिनों से इधर हारानबाबूकी इतनी खातिर और इज्जत नहीं की थी। यहाँ तक कि आज जब हारान बाबू जाने के लिए उटनेका उपक्रम कर रहे थे, उस समय सुचरिताने लावण्य की एक नई शिल्प कला का परिचय देने के बहाने पानू बाबूसे और जरा बैठे रहने का अनुरोध किया। परेव बाबूका मन इधर से निश्चिन्त हो गया। जो खटका पैदा हो गया था वह जाता रहा । उन्होंने सोचा, मेरी भूल थी। यहाँ तक की वह मन ही मन जरा हँसे भी। सोचा इन दोनों जनों के बीच शायद कुछ गूद प्रणय पैदा हो गई थी और अब वह मिट गई 1 -