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गोरा

गोरा अच्छी बात है । उस आकर्षण को ही सम्भाल कर चलना होगा। उन लोगों के सम्बन्ध में प्राणिवृत्तान्त का अभ्याय न ही अनाविष्कृत ही रहने दो । खास कर वे लोग ठहरै शिकारी जीव, उनके भीतर के मामलात को जानने जाकर अन्त को यहां तक भीतर जा सकते हो कि तुम्हारी यह चोटी तक देखने का कोई उपाय न रह जाय । विनय-देखो, तुममें एक बड़ा दोष है। तुम समझने हो कि जो कुछ शक्ति है वह सब ईश्वर ने केवल तुमको ही दे दी है और हम सब दुर्बल प्राणी हैं। विनय की यह वात गोरा को सहसा जैसे नई सी जान बड़ो। उसने उत्साह के वेग में जाकर विनय की पीठ में एक हाथ मारकर कहा-ठीक शहा, यही मुझ में दोष है। बड़ा भारी दोष है। विनय-योः ! इससे भी बढ़कर एक और दोष है ! कौन मनुष्य झुम्हारे हाथ का कितना बेग सह सकता है इसका ख्याल तुम बिल्कुल नहीं रखते इसी समय गोरा के वैमात्र बड़े भाई महिम अपना स्थूल शरीर लिए, हांफ्न-हांफते ऊपर आये । आते ही पुकार:-~~-गोरा । गोरा तुरन्त उठ खड़ा हुआ और वोला-जी, क्या आज्ञा है ? महिम-बाशा कुछ नहीं है, देखने आया हूँ कि बरसाती वादल क्या हमारे छत पर उतर कर गरज रहा है। -अाज मामला क्या है ? शायद अँगरेजो को इतनी देर में भारत सामर के आधी दूर नँया आये हो । अगरेजों की तो इससे कुछ विशेष हानि नहीं देख पड़ती, हाँ-नीचे कोठरी में तुम्हारी भावज सिरके दर्द की तकलीफ से बेहाल पड़ी है, उन्हीं को इस सिंहनाद से विशेष कष्ट पहुँच रहा है । इतना कह कर महिम नीचे उतर गये। फ० नं०२