पृष्ठ:गोरा.pdf/१८१

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[२४] यह निश्चय हुआ था कि अँगरेज-कवि ड्राइडन की संगीत विषयक एक कविताको विनय रंगमंच पर भाव व्यक्तिके साथ पड़ेगा, और लड़कियां स्टेज पर उपयुक्त साज सज्जा के साथ उपस्थित होकर कविताके विषयको मूक अभिनय करेंगी। इसके अलावा लड़कियाँ भी अँगरेज़ी की कविताएँ पढ़ेगी, और गाना भी गावेगी। वरदासुन्दरीने विनयको बहुत कुछ भरोसा दिया था कि वे लोग उसे किसी तरह तैयार कर लेंगे। वरदासुन्दरीने खुद तो अँगरेजी वहुत . ही थोड़ी मामूली सीखी थी, लेकिन उनके दलके दो-एक अँगरेजीके विद्वान ऐसे थे, जिनपर उन्हें पूर्ण भरोसा था । किन्तु जब रिहर्सल हुई तब पहिलेही दिन बिनयने अपनी कयिता- पाठकी निपुणतासे वरदासुन्दरी की मण्डलीके बाहरके इस 'अनाड़ी' आदमी- को सिखलाकर तैयार करनेके सुखसे वरदासुन्दरीको वंचित होना पड़ा। पहले जो लोग विनयको विशेष व्यक्ति न जानकर उसकी कुछ खातिर न करते थे, अर्थात् उसे साधारण आदमी समझते थे, उनसे भी विनयको इतनी खूबीके साथ अँगरेजी कविता का पाठ और उच्चारण करते देखकर मन ही मन उसे श्रद्धाकी दृष्टिसे देखे बिना नहीं रहा गया। यहाँ तक कि हारान बाबूने भी अपने अँगरेजोके अखवारमें कभी-कभी कुछ लिखनेके लिए विनयसे विशेष अनुरोध किया। सुधीरने भी अपने लोगोंकी छात्र सभामें कभी-कभी अँगरेजीमें ब्याख्यान देनेके लिये विनयसे आग्रह करना शुरू कर दिया। उधर ललिताकी अवस्था विचित्र ही हो गई। किसीको किसी विषयमें विनयकी सहायता जो नहीं करनी हड़ी, इससे वह प्रसन्न भी १८१