पृष्ठ:गोरा.pdf/२९७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
[ २९७
गोरा

गोरा [२९७ हारानने कहा - सुचरिताने उस समय अपने मनको अच्छी तरह समझकर ही सम्मति दी थी, और इस समय बिना समझे ही असम्मति प्रकट कर रही है. इस तरह का सन्देह आपके मनमें नहीं उत्पन्न होता ? परेशने कहा- दोनों ही बातें सम्भव है। किन्तु कैसा भी सन्देह क्यों न हो, ऐसी अवस्था में विवाह नहीं हो सकता । हारानबाबू-आप सुचरिताको अच्छी सलाह न देंगे? परेश -आप निश्चय जानते हैं, मुचरिताको मैं कभी अपनी शक्ति भर बुरी सलाह नहीं दे सकता ! हारान० यही बात अगर होती तो सुचरिता का ऐसा परिणाम कदापि न हो सकता । अापके परिवार में आज कल जो बातें होने लगी हैं सो अब आपकी अविवेचनाका ही फल है, और यह बात मैं साहस करके आपके मुंह पर ही कह रहा हूँ ! परेशवाबूने जरा हँसकर कहा-यह तो आप ठीक ही कह रहे हैं अपने परिवारके अच्छे बुने नभी परिणामोंकी जिम्मेदारी में न लूगा, और कौन लेगा? हारान० आपको इसके लिए पछताना पड़ेगा। परेश०-- पश्चात्ताप-तो ईश्वर की दया है। अपराधको ही इरता हूँ, हारान बाबू, पश्चात्तापको नहीं । नुचरिताने प्रवेश करके परेश बाबुका हाथ कड़ कर कहा-बाबुजी आपकी आसनाका समय हो गया, चलिए! पहश---झारान बाबू , तो क्या जरा बैठिएगा ? हारान बाबू, केवल 'न' कह कर तेजीके साथ चले गये।