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गोरा

गोरा [ ३३१ इसी समय दरबानने आकर खकर दी, परेश वाले घर की दो त्रियाँ आई हैं । सुनते ही विनयकी छाती धड़क री। उसने ननना नझको सावधान करने ही के लिए वे दोनों अानन्दमयीसे शिकायत करने आई है। उसने खड़े होकर कहा-तो मैं अब जाता हूँ। अानन्दमयीने झट खड़ी हो उसका हाथ पकड़कर अहा --विनय, अभी मत जानी। नीचे के कमरे में वैटो। नोचे जाते समय विनय यो मन ही मन कहने लगा इसकी तो कोई आवश्यकता न थी। जो हो गया सो हो गया ! मैं तो मर जाने पर भी अब वहाँ नहीं जा सकता। अपराधका उत्ताप जब आग की नरह एका- एक हृदय में धधक उटता है तब उस उत्तापसे जल भरने पर भी ब्रा- राधीकी वह शोकानि शीव नहीं बुझती । सड़कके सामने नीचे गोरा की जो बैठक थी उसमें जब बिनय जारहा था उसी समय महिम अपनी तोंदको अचानके बटन बन्धनसे मुक्त करने- करते आफिससे अपने घर लौट पाया । उसने विनयका हाथ बड़कन कहा-वाह ! विनय बाबूतो भले मौके पर मिल गये : मैं तुमको कई दिनों से खोब रहा था। यह कहकर वह विनयको वड़े अादरसे गोगको टक में ले गया और उसे एक कुरसी पर विद्याकर नाप भी बैंवा ! "अरे कोई है ! तम्बाकू भरकर ले अानो" नौनको बह जान दे उसने काम की बात चलाई। पछा-विनय नाव: उन का नने क्या निश्चय किया। अब तो विनत्र का नाव पहले ऋगुद कोमल दिखाई बड़ा सवार विशेष उत्साह लक्षित न हुया तथापि यह भी नहीं कि बान टाल देने की कोई चेष्टा दिखाई दी हो । तब महिम ने एक बारगी विवाह का दिन मुहूर्त पक्का करना चाहा ! विनय ने कहा--- -गोरा था ले। महिम ने याश्वाल होकर कहा- उसके आने में तो अभी कई दिनों की देर है । अच्छा, कुछ जलपान करेंगे तो मँगाऊँ? कहो क्या कहते है?