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गोरा

। . गोरा [ 722 किया है। कल रसोई-घरसे अपना भोजन वह अाप ही ले गई। एक दुसाध नौकर नित्य पानी लाता था, उमे पानी लानेको मना कर दिया है। आपसे मैं हाथ जोड़कर यही बिनती करनी हूँ कि आप लोग उसे अब मत बहकाइए । उसके सुघरे स्वभाव को स्थिर रहने दीजिए । संसार में बो कोई मेरे थे, मर गए सिर्फ यही एक-मेरी जो कुछ समझिए- क्च रही है, इसके भी अपने समीपीय अात्मीय जनों में मुझे छोड़ और कोई नहीं है । इसे आप छोड़ दीजिए : इसके पुराने घर में तो कितनी ही बड़ी बड़ी लड़कियाँ हैं, लावण्य है, लीला है, वे भी बुद्धिमती और पढ़ी लिखी हैं । यदि अार को कुछ विशेष वार्तालाप करना हो तो उनके पास जाकर कीजिम, कोई यापको न रोकेगा। गोरा कुछ न बोला, ज्यों का त्यों बैठा रहा। हरिमोहिनी उसे चुप देख फिर बोली-आप सोचकर देखिए अब कहीं इसका ब्याह कर देना ही होगी उन्न भी अधिक ही गई है। आप क्या कहते हैं, वह सदा इसी तरह अविवाहिता ही रहेगी ? इस विषय में साधारण भाव से गोरा के मन में कोई सन्देह न था। उसका भी मत यही था किन्तु सुचरिता के सम्बन्धमें उसने आज तक कमी अपने मत का प्रयोग करके नहीं देखा । सुचरिता गृहिणी होकर किसी एक गृहस्थ के घर के भीतर गृहकार्य में नियुक्त है, यह कल्पना रूपसे भी कभी उसके मनमें न आया था। वह सोचता था; सुचरिता जैसी आज है वैसी ही सदा रहेगी। गोराने पूछा-आपने अपनी बहनोतीके ब्याह की बात सोची है था नहीं? हरिमोहिनी--सोचती ही हूंगी। मैं न सोचूंगी तो कौन सोचेगा ? गोरा-क्या हिन्दू-समाजमें उसका ब्याह हो सकेगा ! हरिमोहिनी-चेष्टा करके देख्लूंगी । यदि वह ठिकानेके साथ रहे, ठीक तरह से चले तो मैं उसको हिन्दू-समाजमें चला दे सकेंगी। इन बातों को मैंने मन ही मन ठीक कर रखा है।