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गोरा

गोरा प्रकृतिको क्षण भरमें जागत्का उपाय प्रेम हैं | चाहे जिस कारण से हो, हम लोगोंमें इस प्रेमकी उपज बहुत कम है। इसीसे हम अपने सम्पूर्ण सुखोंसे वंचित हैं। हम लोगोंके पास क्या है सो भी हम नहीं जानते जो गुप्त है उसे प्रकाशित नहीं कर सकते। जो सचिंत है, उसे खर्च करने की सामर्थ्य नहीं। इसी लिए चारों ओर निरानन्द ऐसी उदासीनता है। इसीसे हम लोगों में जो महत्व है वह केवल तुम्हारे सदृश बिरले ही मनुष्य जानते हैं, साधारण लोगों के मनमें उसका ज्ञान तक नहीं है । महिम खूब जोर से जंभाई लेकर बिछौनेसे उठकर जब मुँह धोने गया, तब उसके पैरोंकी आहट सुन विनयके उत्साह का प्रवाह बन्द हो गया। वह गोरासे जानेकी.अाशा लेकर चला गया । विनयके साथ आज समाजिक विच्छेदका दिन है। आज विनयका हृदय गोराके हृदय पर एक अपूर्व संगीत का भाव अङ्गित कर गया। विनय चला गया। किन्तु उसके सङ्गीत की लहर घरमें अटक रही। गोराका मन उस लहर में बार बार गोते स्लाने लगा। समुद्र-गामिनी दो नदियाँ एक साथ मिलनेसे जो रूप धारण करती है जैसे एक का प्रवाह दूसरी नदी की धारासे टकराकर तरङ्गको शब्दावमान करता मैं, वैसे ही विनयकी प्रेम-धारा बाज़ गोराके प्रेम प्रवाह पर पतित हो तरंग के द्वारा तरंग का शन्दायमान करने लगी : गोरा जिसे किसी प्रकार बाधा देकर, बीचमें कोई परदा-डाल, अपनी आँखोके सामने से दूर रखनेकी चेष्टा कर रहा था, उसीने आज परदा हटाकर अपनेको स्पष्ट रूपसे सामने ला रक्खा। उसे धर्म विरुद्ध कहकर निन्दा करे या उसे तुच्छ कहकर उप- हास करें ऐसी शक्ति आज गोराके मन में न रही। गोग आज दिन भर इसी चिन्तामें पड़ा रहा जब साँझ होनेमें थोड़ा सा विलम्ब रह गया, तब वह एक चादर अोड़कर सड़क पर घूमने चला। उसने कहा-जो मुके हृदयसे चाहता है उसकी चाह मैं भी अवश्य करूँगा; नहीं तो संसारमें मेरा काम अधूरा पड़ा रह जायगा। सारी दुनियाके भीतर सुचरिता उसीके आहानकी अपेक्षा कर रही हैं,