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पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/१०

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मालवा यहाँ काम करना चाहते हो"-मालवा ने चुप्पी भन्न करते हुए कहा । "हाँ 'मैं नहीं जानता""अगर मुझे यहाँ कोई काम मिल जाय तो मैं पसन्द करूंगा।" "तुम्हें यहाँ प्रासानी से काम मिल जायगा।" उसकी तरफ अपनी कंजी, प्रश्न सी पूछती, अधमुदी खिों से देसते हुए, विश्वासपूर्वक मालया बोली। . याकोव ने उस स्त्री की तरफ से अपनी प्रासे हटा ली और अपनी ___ कमीज की चाह से माथे का पसीना पांछा । अचानक यह हम उठी । ____ "मेरा ख्याल है तुम्हारी माँ ने तुम्हारे पाप के लिए शुभ-कामनाएँ और संदेश अवश्य भेजा होगा," वह बोली। याकोव ने उसकी तरफ देखा, माथे पर बल डाले और कटुता से जवाब दिया : “भेजा है • तुम क्यों पूछ रही हो ?" "ओह, वैसे ही!" याकोव को वह हंसी अच्छी नहीं लगी वह परेशान करने वाली यो। उसने उस औरत की तरफ से मुंह मोड़ लिया और अपनी मां के द्वारा भेजे गए सन्देश को याद करने लगा। उसकी मां उसे गांव के बाहर तक छोड़ने भाई थी । सरपत को चनी हुई एक दोवाल के सहारे खड़े होकर उसने जल्दी २ बोलते हुए और तेजी से अपनी सूसी धासें झपकाते हुए कहा था : "उससे कहना, याशा... .. .. ईश्वर के लिए उससे कहना कि वह फिर भी एक बाप है ! • तुम्हारी माँ विएल घरेली है, उससे कहना...... यह पिरले पाँच पा से विपुल शरे ली । उनसे काहना बुद्धी होती जा रही है। ईश्वर के लिए उमसे कहना, गशा! तुम्हारी नो पदी श्री गुटो कोपायेगी... और यह चिकुल वंक्षी है । रस्त मेहनत करनी है। रियर के लिए उससे यह कहना ' ...." और अपने आंचल में मुंह छिपाकर चुपचार रोने लगी थी। याकोष को तर उसके लिए दूर नहीं दुघा या परन्तु प्रय होने लगा।