पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/१११

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

कामरेट ११३ करने के लिए तया मनुष्य को स्वतन्त्रता के बन्धन में लिए हुए इस संसार में पाया है । ____ जब इस शब्द ने गुलामों के हृदय में जद जमा ली तब वे गुलाम नहीं रहे और एक दिन उन्होंने शहर और उसके शक्तिशाली शासको से पुकार कर कहा "चप , बहुत हो चुका । " इससे जोवन रुक गया क्यों कि ये लोग ही अपनी शक्ति से इसका संचालन करते ये - केवल यही लोग , और कोई नहीं । पानी बहना बन्द हो गया, श्राग बुझ गई, नगर अन्धकार में डूब गया और शक्तिशाली लोग बच्चों के समान असहाय हो उठे । प्रत्याचारियों की प्रामा में भय समा गया । अपने ही मन सूत्र को दम घोंटने वाली दुर्गन्ध से ज्याकुल होकर उन्होंने विद्रोहियों के प्रति अपनी घृणा का गला घोंट दिया और उनको शक्ति को देख कर किंकर्तव्य ...बिमूह हो गए । __ भूख का पिशाच उना पीछा करने लगा और उनके बच्चे अन्धकार में करणाजनक ढंग से रोने लगे । घर और गिरजे अपसाद में डूब गए और पत्थर और लोहे के कर हास में घिर गई सड़कों पर मृत्यु को सी भयावनी निस्तब्धता छा गई । जीवन गतिहीन हो गया क्योंकि जिस शक्ति ने इसे उत्पन्न किया था यह अब अपने अस्ति च के लिए चौकशी हो उठी थी और गुलाम मनुप्य ने अपनी पदा को प्रकट करने वाले चमत्कार पूर्ण और अजेय शब्द को पा लिया था । उसने अपने को अयाचार से मुक्त कर अपनो शक्ति को पहचान लिया था , जो विधाता की शक्ति थी । शफियालियों के लिए वे दिन दूर न थे क्योंकि वे लोग अपने को इम जोवन का स्वामी समझते थे । वह रात हजार रातों के समान यो , सुम के मामन गदगे । मुरदे के ममान उस नगर में चमकने वाली यत्तियाँ