पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/११५

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कामरेड उन लोगों के खिलाफ, भूरी वर्दी पहने हथियार बन्द प्रादमियों के अन्धे समूह एकत्रित होने लगे थे । वे चुपचाप एक सी पक्तियों में सड़े थे । प्रत्याचारियों का क्रोध उन विद्रोहियों पर फट पड़ने को तैयार था जो न्याय के लिये लद रहे थे । ___ उस नगर की टेडो मेड़ी संकरी गलियों में , अज्ञात निर्माताओं द्वारा बनाई हुई ठडो, खामोश दीवाली के भीतर मनुष्य के भाई चारे की भावना फैल रही थो और पक रही थी । " कामरेडो ! " जगह जगह पाग भदक उठो जो एक ऐसी लपट में फुट पटन को प्रस्तुत यो जो सारे संमार को भाई चारे की मजबूत और उज्वल भावना में धि देने वाली यो । वह सारी पृथ्यो को अपने में समेट लेगी और उसे सुखा डालेगी । दूप, गृणा और करता को भावना को जला कर राव बना देगी जो हमारे रूप को विकृत बनाती हैं । सय हदयों को पिघला कर उन्हें एक हृदय में केवल एक हृदय में दाल देगो । सरल और अच्छे स्त्री पुरपों का हृदय परस्पर सम्बन्धित स्वतंत्र काम करने वालों का एक सुन्दर स्नेहपूर्ण परिवार यन जायगा । उस निर्जीव नगर को सदको पर जिसे गुलामों ने बनाया था , नगर की उन गलियों में जहाँ करता का साम्राज्य रहा था , मानर में विधान तथा शपने ऊपर और संमार को सम्पूर्ण बुराइयों पर मानव की विजय को भावना यदो और शक्तिशाली बनी । सौर उस चंगो से भरे हुए नीरस अस्तित्व के कोलाहल में , एक दीतिमान , उज्वल नपान के समान , भविष्य को स्पष्ट करने वाली टाका के ममान , का , पदय को प्रभावित करने वाला सादा पर मरल शब्द चमकने गा : " कामरे "