पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/११७

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मोल्पीया की लड़की ऊपर " दुंग, ढुंग .. ... को प्रभावित करने वाली आवाज हो रही थी । और नीचे, पहाड़ी को पार से, कुछ तूफान की चिंघाड़ पा रही योः " श्रो - यो - १. .. . . .... . " पतलून को जेवो में हाय तू मे , शरीर को श्रागे मुकाये पावेज पत्थर की एक सड़क पर ऊपर की थोर चढ़ता जा रहा था जबकि उसके साथी वागों में होकर जाने वाले एक छोटे रास्ते से, कालो बकरियों की तरह एक पगढडो से दूसरी पगडंटी पर उछलते हुए भागे बढ़ रहे थे । मिशा सर्दीकोव - एक ढलाई का काम करने वाला - कहीं ऊपर से चीखा "पावेज, तुम श्राओगे ? " "मैं नहीं जानता, भाई , कोशिश करूंगा, " पावेल ने मजदूरों को उस सोधी खड़ी चढ़ाई पर लड़खड़ाते हुए चढ़ते देवा चौर जवाब दिया । चारी श्रोर हसी और सीटियों की आवाजे पा रही थीं । सब लोग इतवार को मिलने - वाले विश्राम की भावना से प्रसन्न हो रहे थे । उनके उदास चेहरे और सफेद दांत बुशी से चमक उठे थे । मन्जी के पेतों को टहनियों से बनी हुई चहार दीवारो इस घर लौटने वाले झंड के पैरों से टूट रही यो । सेन वाली बुदिया इवानिखा हमेशा की तरह अपनी नकोतो धावाज में गालियों से उनका स्वागत कर रही थी और नदी से दूर , "प्रिमेज प्रोव के पास इयता हुमा सूरज उम बुदिया के चिथड़ो को गुलायी और उसके भूरे सिर को सुनहरी रगों में रंग रहा था । नीचे की तरफ से जलते हुए तेल और मीले दलदलों को दुर्गन्ध श्रा रही थी । पहाडी की नली में ताजे सोरो , तरबूजों और काले नगरों की सुगन्ध भर रहो घो । उस चुड़िया को गालियाँ गिरजी में उठा हुई प्रसन्न पनि में विलीन हो गई । _ हा - या " याकोव ने येमन नोचा- " चरित्र को पंसी जजोरी बड़ी जम्माजनक है - ममो लज्जाजनक ... . " CU