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पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/१२२

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૧૨ मोड वीया की लड़की "तुम्हें नहीं मिलेगी । अगर तुमने वोदका पो तो तुम पर डाट पड़ेगी । " ये शब्द पावेल के लिए पुराने और परिचित थे । यहाँ की हरेक चीज उसके लिए पूर्ण रूप से परिचित थी । उसकी स्त्री ने शिकायत की "दिन भर में एक क्षण भी ऐसा नहीं मिलता जिसे कोई अपना कह सके कपड़े सीना, पकाना , धोना - पीर यह बच्ची केवल एक काम जानती है कि चहारदीवारों पर खड़ी होकर चोखती रहती है कि कोई एक ककदी चुराए लिए जाता है । " दाशा एक लम्बी , मोटी ताजी, सुन्दर स्त्री थी जिसका चेहरा गोल तथा भौहें सुन्दर , चिकनी और सफेद थीं । उसके कान छोटे और तेज थे और वह जय वात करती तो उन्हें बड़े सुन्दर ढङ्ग से हिलाती । परन्तु अब वह इतनी सुन्दर नहीं लग रही थी । उसका बिना कढ़े वालों वाला सिर बहुत बड़ा लग रहा था । विखरे हुए वाल कई दिनों की धूल और पसीने से गन्दे होकर उसके माये और कानों पर लटक रहे थे । गुस्से से उसके नथुने फूल रहे थे और मोटे लाल होठ फड़क रहे थे । जब वालो की एक लट उसके मुंह में चली गई तो दाशा ये उसे अपने चम्मच से एक भोर हटा दिया । उसका मैला व्लाऊज काँख पर फट रहा था और सामने के बटन लापरवाही से लगे थे । गुलाबी गोल वाहें जो कुहकियों तक खुली हुई थीं , धूल से गन्दी हो रही थीं । ठोड़ी पर पसीने की एक पीली वू द लटक रही थी । " नहाने और बाल कादने में तो इसे ज्यादा समय नहीं लगेगा, " पावेल ने सोचा । वह कल खाना खाने के बाद अपने बाल काढ़ेगी , धारीदार पीले और हरे रंग का ब्लाऊज पहिनेगी और कमर में रेशमी घाघरा बांधेगी । घाघरा उमके पेट पर घटक जायगा जिपये परों में पहने हुए बटनदार बूटों का जोड़ा और मोजों की झलक दिम्बाई देने लगेगी । मोजे काले हैं जिन