पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/१३८

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१४० मोवीया की लड़की - - - - - - पावेल बोला । वह यहाँ क्यो पाया ? अचानक इससे पहले कि वह इसका स्वद ही कोई कारण हूँढ़ सके , उसने तेजी और कठोरता के साथ पूछाः " क्या तुम्हारा नाम , पता लिख लिया गया है ? " " कहाँ ? " " पुलिस में ? " उसने शान्त होकर उत्तर दिया . " हाँ , बेशक , मेरा पासपोर्ट वहाँ दर्ज है । मैं यहाँ रसोईदारिन और नौकरानी के रूप में काम कर रही हूँ । दिन भर मेरे पास कोई काम नहीं रहता " _____ पावेल ने अनुभव किया कि कहीं कोई गल्ती अवश्य हुई है, कुछ ऐसी गल्ती जिसे वह समझ नहीं सका है । " मेरा यह मतलव नहीं था " वह समझ गई । उसका चेहरा काला पड़ गया और आँखें वन्द हो गईं । " श्रोह , " वह बुदबुदाई "मैं अब समझी कल मैं उस पार्क में जो , गई थी ? नहीं , मै वह काम नहीं करती । " उसने यकीन नहीं किया । वह मटके के साथ अपनी कुर्सी पर बैठ गया और उसके बारे में सोचने लगा । यह सोचकर उसे मजा अाया कि वह अपना पेशा छिपा रही है । इस से उस लड़की के लिए उसके मनमें दुख और प्रसन्नता दोनों ही हुई । लड़की की तिरछी आँखें अचानक खुल गई । वे नीली और मादक थीं । उनसे उसके चेहरे का श्राकर्पण बढ़ गया था । " मैं कल वैसे ही वाहर चली गई थी , " वह कह रही थी और रोटी र को नोचती हुई उसकी गोलियाँ वनाती जाती थी - " मैं यहाँ की हर चीज से ऊब गई थी इसीलिए बाहर चली गई । सम्भव था कि मै नदी में फूट पढ़ती परन्तु मैने तुम्हें देख लिया । वहाँ, मैंने सोचा कि एक आदमी है जो मेरो ही तरह दुपी है इसीलिए मैं पास चली गई । और तुमने खुलकर