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पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/१४८

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१५० मोट्वीया की लड़की -- - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - " यह बेकार है , लिजा ! " " हरेक श्रादमी अपनी शक्ति भर अच्छे श्रादमियों की सहायता करता है । " "यह अच्छी बात नहीं , लिजा ! नहीं, तुम्हें मदद करने का दूसर तरीका सोखना पढेगा । " " जब मैं सीख लू गी तव करूंगी । " पावेल से और सटकर उसने कहा . " इसका कोई महत्व नहीं, है कोई ? इससे उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुँच सकता , क्यों , पहुँच सकता है ? " पावेल ने कुछ उत्तर नहीं दिया और उसे वाहों में भर लिया । उसके विचार धुधली परन्तु महत्वपूर्ण बातों को सोच रहे थे । उसके कामरेडों ने गौर किया कि पावेल अपना कुछ समय उन लोगों से और अपनी स्त्री से बचाकर नहीं दूसरी जगह बिताया है । परन्तु वे यह दिखाते हुए खामोश रहे कि वे उसकी बातों का विश्वास करते हैं । केवल सर्दीकोव - ढलाई का काम करने वाला खुशमिजाज व्यक्ति - ने एक दिन उससे पूछा __ " मैं देख रहा हूँ कि तुम्हारी भी किसी औरत से मुहब्बत होगई है , पावेल , क्यों ? " इस अचानक किए गए प्रश्न से यह चौंक उठा और हड़बड़ा कर चोला . " और कौन " चेचक्रू मुंह और छितरे वालों वाले सर्दीकोच ने अपने मुलसे हुए हाय को फटकारते हुए कहा : "पदे गए , यार । कहो, अव इस बारे में क्या कहते हो । देखो, मै श्रमी तुम्हारी स्त्री से जाकर कह दूं वो ! " " नहीं, कुछ मत कहना " पावेल ने गम्भीर होकर कहा । ___ " तुम मुझे क्या टोगे ? एक किनाव दो । नेकापोव को एक किवाय दे दो , क्या दोगे न ? "