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पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/१५

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मालवा भीगे हुए होठों से खूब मन लगाकर खावे हुए देखा । वासिली ने थोड़ा खाया हालोंकि उसने यह दिखाने की कोशिश की कि उसका ध्यान पूरी तरह से खाने की तरफ है। उसे ऐसा इसलिए करना पड़ा जिससे वह बिना किसी बाधा के बेटे और मालवा की आँख्न बचाकर, अगला कदम उठाने के बारे में । चुपचाप सोच सके। ____लहरी का कोमल सङ्गीत समुद्री चिड़ियों की कर्कश चीख से भंग हो रहा था। गर्मी अव कम हो गई थी और रह रह कर समुद्र की गन्ध से भरे हुए ठंडी हवा के झोंके झोपड़ी में घुस आते थे। उस मसालेदार शोरवा और वोदका के असर से याकोव की पलकें भारी हो उठी थीं । उसके होठों पर एक छूछी मुस्कान खेलने लगी। वह खांसने और जम्हाई लेने लगा। उसने मालवा की ओर इस तरह देखा जिससे वासिली को मजबूर होकर उससे कहना पड़ा : "जाओ और थोड़ा सो लो, याकोव, मेरे बच्चे । एक नींद ले लो जब तक कि चाय तैयार हो । तैयार होने पर हम तुम्हें जगा देंगे। "हो.......... मैं सोचता हूँ सो लू," बोरों के एक ढेर पर गिरते हुए याकोव बोला-"लेकिन "" तुम दोनों कहाँ जा रहे हो ? हा-हा-हा" उस हसी से परेशान होकर वासिनी झोपड़ी से बाहर निकल गया परन्तु मालवा ने होंठ सिकोड़े, भौहें चढ़ाई और याकोव के प्रश्न का उत्तर दिया। "हम कहाँ जा रहे हैं यह पूछना तुम्हारा काम नहीं है ! तुम क्या हो ? तुम सिर्फ एक लड़के हो ! तुम अभी इन चीजों को नहीं समझ सकते !" "मैं क्या हूँ ? अच्छा ! तुम इन्तजार करो....... मैं तुम्हें दिखा। दूंगा! तुम समझती हो कि तुम बहुत तेज........" जैसे ही मालवा ने ___ झोपड़ी छोड़ी याकोव ने ऊंची आवाज में कहा। वह कुछ देर तक बड़बड़ाता रहा और फिर अपने बाल चेहरे पर सन्तोष की शराबी की सी मुस्कान लेकर गहरी नींद में सो गया । वासिलो ने जमीन में तीन बकड़ियों गाद उनके ऊपरी सिरों को श्रापस में वांधा